बिहार में सात सबसे बड़े अखबारों में से सातों के संपादक या तो ब्राह्मण हैं या ठाकुर


बिहार की मीडिया की जाति। बिहार में सात सबसे बड़े अखबारों में से सातों के संपादक या तो ब्राह्मण हैं या ठाकुर। बिहार के सबसे ज्यादा बिकने वाले सात अखबार हैं – हिंदुस्तान, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, आज, प्रभात खबर, राष्ट्रीय सहारा और आईनेक्स्ट

दैनिक जागरण, आज, प्रभात खबर और आईनेक्स्ट के संपादक ब्राह्मण हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर और राष्ट्रीय सहारा के संपादक ठाकुर हैं। सारे संपादक पुरुष हैं।

बिहार के सबसे ज्यादा बिकने वाले सात अखबारों – हिंदुस्तान, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, आज, प्रभात खबर, राष्ट्रीय सहारा और आईनेक्स्ट – में कुल 297 स्थाई पत्रकार हैं. इनमें से 237 सवर्ण हैं. उनमें भी 105 अकेले ब्राह्मण हैं. ठाकुर 46, कायस्थ 45 और भूमिहार 32 हैं. अन्य धर्मों के सवर्ण सिर्फ 9 हैं. पिछड़ी जाति के 41, अति पिछड़ी जाति के 7 और दलित पत्रकार सिर्फ 1 है।

बिहार की 95 प्रतिशत आबादी से किसी बड़े अखबार का कोई संपादक नहीं है। बिहार के सवर्ण मीडिया में भी एक ही जाति का बोलबाला।

बिहार का सबसे जनेऊग्रस्त अखबार दैनिक जागरण है। यहाँ 90% यानी 51 में 46 पत्रकारों के कंधे पर जनेऊ है, जिसे वे “गंदा काम” करते समय कान पर लपेट लेते हैं।

दैनिक जागरण के संपादक भी ब्राहमण हैं।

फिर भी निष्पक्ष पत्रकारिता का दावा करते है यह।

यह पुरे देश का ऐसा ही हाल है, मीडिया से ले कर कोर्ट तक सब जगह यह जनेऊ पहने सांप बैठे है जो दलित बहुजनो को डसने को तत्पर रहते है।

अब तो शयद आप को समझ आ गया होगा की क्यों ब्राह्मणवादी मीडिया तेजस्वी यादव के पीछे पड़ा है? यह ब्राह्मणवादी मीडिया किसी पिछड़ी जाति के आदमी को आगे बढ़ता नहीं देख सकते।

भारत देश में मीडिया का स्तर इतना घटिया क्यों है? ब्राह्मण बनिया का मीडिया पर कब्ज़ा होना एक वजह है की मीडिया इतना घटिया है।

दलित-पिछड़े अपनी कहानी अच्छे से लिख सकते है। हमारी तकलीफ हम इन ब्राह्मणवादी लोगो से अच्छे से जानते है। इन ब्राह्मणवादी लोगो के लिए हमारी तकलीफ एक TRP बढ़ाने का जरिया हो सकता है पर हमारी तकलीफ को कब भी यह ब्राह्मणवादी लोग नहीं समझ सकते।  इस सब के लिए हम सब दलित-पिछडो को साथ में मिल के अपना मीडिया खड़ा करना होगा।

स्रोत- सबॉल्टर्न पत्रिका, मई-जुलाई अंक, 2016

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