बहुजन मीडिया को ख़तरा किस बात से है?


फेसबुक द्वारा के नेशनल दस्तक पेज को बाधित करना घोर निंदनीय है। जब धार्मिक उन्माद फैलाने वाले पेज चल रहे, अश्लील पेज चल रहे तो नेशनल दस्तक के साथ फेसबुक के अधिकारी सौतेला व्यवहार क्यो कर रहे। जब की नेशनल दस्तक पर कोई अश्लील बात नहीं होती। सिर्फ इसलिए की यह दलित, आदिवासियों के बारे में लिख रहा। घोर जाति वादी मानसिकता से ग्रस्त है भारत के फेसबुक अधिकारी।

इस बात से कोई भी इन्कार नहीं कर सकता की ब्राह्मणवादी लोग जो इंडिया के सोशल मीडिया ऑफिस में बैठे है वो नीची कही जानी वाली जातिओ के खिलाफ काम करते रहे है पर इस के साथ साथ किस से बहुजन मीडिया को बड़ा ख़तरा है? जितना खतरा बहुजन मीडिया को बहार से है उस से जयादा खतरा अन्दर से है।

फेसबुक या ट्विटर की मनमानी से बहुजन मीडिया को ख़तरा नहीं है। रोकने की कोशिश होगी, दिक्कत भी होगी, लेकिन रोक नहीं पाएँगे। इस सोच को पैदा करना की बहुजन अपना मीडिया खड़ा कर सकते है जब पूरी सोसाइटी आपको बताने में लगी हो की आप नहीं कर सकते यह सब से बड़ा खतरा है।

बहुजन मीडिया को लेकर जिस तरह नाकारात्मक कारवाई की जा रही है उसका साकारात्मक पहलू ये है कि लोग धीरे धीरे सच समझ रहे हैं. नेशनल दस्तक के साथ हुआ व्यवहार सबूत है इस बात का कि हमारे बहुजन मीडिया के साथ सचमुच दोगला व्यवहार हो रहा है। इस तरह की पाबंदी हमारे हौसले और एकजुटता को और बढ़ाएंगे।

भारत की 85% आबादी की अनदेखी करते कोई Mass Product या Mass Idea नहीं चल सकता। इसलिए देर सबेर ये कंपनियाँ लाइन में आ ही जाएंगी।

इनका बाज़ार हम हैं।

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बहुजन मीडिया की हार हुई भी तो, सोशल मीडिया कंपनियों के कारण नहीं होगी। तो फिर बहुजन मीडिया को ख़तरा किस बात से है?

  1. ख़तरा यह है कि बहुजनों को, SC, ST, OBC और माइनॉरिटी को अब तक मालूम ही नहीं है कि वे भी मुँह में ज़ुबान रखते हैं।
  2. ख़तरा इस बात से है कि उन्हें लगता है कि मीडिया सिर्फ़ बिकाऊ है, जातिवादी या सांप्रदायिक नहीं है।
  3. ख़तरा इस बात से है कि उन्हें लगता है कि मीडिया में मौजूद “भले सवर्ण” लोग बहुजनों का ख़याल रख लेंगे। इसलिए अपना मीडिया बनाने की ज़रूरत नहीं है।
  4. बहुजनों में यह आत्मविश्वास नहीं है कि वे भी अपना मीडिया चला सकते हैं।

बहुजन मीडिया को बाहर से नहीं, अंदर की इस सोच से ख़तरा है।

पढ़े – सोशल मीडिया की मनुस्मृति – नेशनल दस्तक के फेसबुक पेज पर पाबंदी!

जब तक हम ब्राह्मणवादी मीडिया के कहने पर बैठ जाएगे और उस के कहने पर उठ जाएगे तब तक यह सोच पैदा करना मुश्किल होगी की बहुजन मीडिया बन सकता है। बाबासाहेब से ले कर साहेब कांशी राम तक सब ने जितना हो सकता था अपना मीडिया शुरू करने की बहुत कोशिश की।  बाबासाहेब ने कई न्यूज़ पेपर शुरू किये, साहेब कांशी राम ने बहुत से मैगज़ीन शरू किये ता की बहुजन जनता को अच्छा कुछ पड़ने को मिले और यह सोच पैदा हो की बहुजन समाज भी किसी से कम नहीं है।

आज समय है की बहुजन मीडिया अच्छे से सामने आये और ब्राह्मणवादी सोच का मुकाबला करे।  यह सब तब तक मुन्किन नहीं हो सकता जब तक हम अंदर के खतरों को ख़तम नहीं कर देते।  इस सब में पुरे बहुजन समाज को बहुजन मीडिया का साथ देना होगा।

#IAmWithNationalDastak

— दिलीप मंडल की फेसबुक पोस्ट को वेलीवाड़ा टीम की तरफ से एडिट किया हुआ

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1 comment

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  1. 1
    राजेश जैसवार

    क्योंकि इस चैनल ने बीजेपी सरकार की पोल खोल दी है, इसलिए सरकार को अपनी चिंता सता रही,

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