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Hindi

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अन्नाभाऊ साठे – एक भुला दिया गया हीरो, एक वाम-पंथी जो अम्बेडकरवादी बना  

हिन्दी जगत अन्ना हज़ारे से बखूबी परिचित है पर उस महान अन्ना से उतना परिचित नहीं है जितना होना चाहिए था। ये अन्ना हज़ारे से भी हजार गुना महान अन्ना कौन है? इस अन्ना को दुनिया अन्ना भाऊ साठे के नाम से …

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सीवर की सफ़ाई में दलित की जगह जिस दिन हिंदू मरने लगेंगे, उसी दिन बदलेगा भारत

क्या इस मामले को संयुक्त राष्ट्र ले जाना चाहिए या भारत सरकार से उम्मीद करनी चाहिए कि उसका ज़मीर जागेगा?

कश्मीर में हमारी लगभग एक तिहाई सेना तैनात है. सरकारी आंकड़ा है कि 2016 में वहां 60 सुरक्षा…

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चाइनीज सामान के बहिष्कार के पीछे छिपी हुई तुच्छ राजनीतिक मंशा

चीनी सामान का बहिष्कार करो, चीनी झालर का बहिष्कार करो, मिट्टी वाले दिया जलाओ, स्वदेशी अपनाओ विदेशी भगाओ आदि। पिछले कुछ सालों से इस तरह की राजनीति खूब चमकाई जा रही है। जैसे दीपावली आती है तो कुछ चीन…

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क्रांति की रुख का आह्वान करती हुई सामाजिक क्रांतिकारी चिंतक सूरज कुमार बौद्ध की कविता: हम बढ़ते चलेंगे

अगर मानव अधिकारों के उल्लंघन को एक आधार मानकर देखा जाए तो भारत की पहचान एक जातीय हिंसा और उत्पीड़नकारी देश के रुप में की जाती है। यहां प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक, पंचायत से लेकर सर्वोच…

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73% जनता का मोदी सरकार पर भरोसा न्यूज़ की सचाई

देश के हर अख़बार और वेबसाइट ने छापा, हर चैनल ने दिखाया कि नरेंद्र मोदी पर भारत की 73% जनता भरोसा करती है। नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेता है।

यह ‘खबर’ चूंकि हर जगह छपी और हर चैनल ने…

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दलित समाज की महान समाज-सुधारिका “जाईबाई चौधरी”, जिसको समाज कभी नहीं भुला सकता

दलित समाज की एक महान समाज-सुधारिका व लेखिका “जाईबाई चौधरी” का नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा। उनका जन्म “महार” जाति में सन् 1892 में नागपुर शहर से करीब पन्द्रह किलोमीटर दूर उमरेर में हुआ था। 1896 म…

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ब्राह्मण/सवर्ण समाज-सुधारकों की वास्तविकता

भारत में अंग्रेज मिशनरी लोगों ने सदियों से ब्राह्मण/सवर्ण द्वारा प्रताड़ित किये जाने वाले शूद्र/अछूत लोगों के साथ बिना ऊँच-नीच का भेदभाव किये जब उनके शिक्षा-स्वास्थ्य संबंधित कार्यों पर ध्यान दिया …

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डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर फिल्म निर्माण के पीछे की राजनीति

बाबा साहेब के जीवन पर “डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर” नामक फिल्म का निर्माण कार्य 1999 में शुरु हो गया था और 2000 में पूरा होने पर इस फिल्म को रिलीज किया गया। इस फिल्म निर्माण के पीछे की राजनीति भी बड़ी दि…

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बिहार में सात सबसे बड़े अखबारों में से सातों के संपादक या तो ब्राह्मण हैं या ठाकुर

बिहार की मीडिया की जाति। बिहार में सात सबसे बड़े अखबारों में से सातों के संपादक या तो ब्राह्मण हैं या ठाकुर। बिहार के सबसे ज्यादा बिकने वाले सात अखबार हैं – हिंदुस्तान, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, आ…

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फर्रुखाबाद की ट्रेन में मुस्लिम यात्रियों पर हमला एक बार फिर जुनैद काण्ड को दोहराने की कोशिश- रिहाई मंच

लखनऊ 14 जुलाई 2017। रिहाई मंच ने फर्रुखाबाद की एक ट्रेन में मुस्लिम यात्रियों पर हुए सांप्रदायिक हमले को एक बार फिर यूपी में जुनैद काण्ड को दोहराने की कोशिश करार दिया। मंच ने पहलू खान मामले में आ…
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मोदी सरकार खा गयी ओबीसी का हक़ – मेडिकल दाखिले में ओबीसी का आरक्षण केवल 2 प्रतिशत

केंद्रीय चिकित्सा प्रवेश समिति की ओर से देश में 63835 मेडिकल सीटों के लिये हुई नीट की परीक्षा में ओबीसी को 27 के बजाय केवल 2 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। नियम के मुताबिक ओबीसी को 27 प्रतिशत, अनुस…

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दुनिया को आतंकवाद से खतरा है, छाया आतंकवाद से नहीं

आतंकवाद की चर्चा जोरों पर है। लोग आतंकवाद की अलग-अलग परिभाषाएं भी बना लिए हैं और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आतंकवाद को अच्छा आतंकवाद और बुरा आतंकवाद के रूप में देखते हैं। हद तो तब होती है जब अपने आप को …

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अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले पर उठ रहे सवालों का जवाब दे सरकार – रिहाई मंच

लखनऊ 12 जुलाई 2017। रिहाई मंच ने अमरनाथ यात्रा पर हुए आतंकी हमले पर उठ रहे सवालों पर सरकार से जवाब मांगते हुए इसे प्रथम दृष्टया संदिग्ध करार दिया है। मंच ने प्रधानमंत्री मोदी का चुनाव जीतने के लिए …
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बहुजनों एक हो जाओ क्योंकि अगला नंबर तुम्हारा है

हबीब जालिब साहब कहते हैं –

शेर से डरते हैं, शायरी से डरते हैं,
कम-नजर रोशनी से डरते हैं!

जी हां साथियों, अंबेडकरवाद की चोट ब्राहमणवाद पर दिन-ब-दिन तमांचे पर तमाचा मार रहा है। बहुजनों के “बोल कि …

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फर्जी गौरक्षकों की पोल खोलती यह कविता – गौरक्षक या नरभक्षक?

आज देश में गौ रक्षा के नाम पर गुंडागर्दी इस तरह से बढ़ चुकी है की अब आम नागरिक अब गाय के खरीद फरोख्त से भी डरता है। गाय के नाम पर आए दिन मजलूमों और मुसलमानों की हत्या की जा रही है। गाय खाना पाप है …

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