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हासिए पर रखी गई जातियों के प्रति नज़रंदाज़ी सामाजिक तस्करी होती है – कांचा इलैया

scroll.in पर कांचा इलैया का इन्टरव्यू प्रकाशित हुआ है, जिसमें वह कह रहे हैं कि मैं कहीं भी सुरक्षित नहीं हूँ, इसलिए मैंने अपने आप को खुद ही अपने घर में कैद कर लिया है. यह इन्टरव्यू 30 सितम्बर 2017 …

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गांधीवाद क्या है? डॉ. अंबेडकर ने “गांधीवाद” को कैसे परिभाषित किया

गांधीवाद क्या है? गांधीवाद का सिद्धांत अपने शब्दजाल में समाज की बुराईयों को अच्छाईयों के आकर्षक रूप में प्रस्तुत कर लोगों को भ्रमित करता है। गांधीवाद ब्राह्मणवाद का एक उदारवादी चेहरा है। यदि साफ शब…

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शासकों के ‘हिंदी दिवस’ की साजिश से बाहर निकलकर अंग्रेजी पढ़ना शुरू करो

सामाजिक क्रांतिकारी चिंतक सूरज कुमार बौद्ध ने हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी दिवस मनाए जाने को साजिश का एक हिस्सा बताते हुए समस्त मानचित्र एवं भविष्य को अंग्रेजी पढ़ने का सलाह दिया। सूरज कुमार बौद्ध न…

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मीडिया के बगैर यह काम संभव ही नहीं। 

21वी सदी के इस डिजिटल युग में अगर हम अपने महापुरुषों के सपनों को पूरा करना चाहते हैं, तो यह काम बगैर एक मज़बूत मीडिया तैयार किये कभी भी संभव नहीं हो पायेगा। किसी समय तक लोकतंत्र के तीन स्तम्भ माने ज…

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कलमकारों के क़त्ल पर रूह कुरेदती सूरज कुमार बौद्ध की कविता – कलम की आवाज़

नरेंद्र दाभोलकर, कलबुर्गी, पनसारे, और अब गौरी लंकेश। आए दिन अनेक लेखकों, पत्रकारों, कलमकारों को मौत की घाट उतार दिया गया। इन बेबाक आवाजों का गुनाह सिर्फ इतना है कि ये साम्प्रदायिक मानसिकता एवं फ़ासी…

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प्रसव वेदना – एक कहानी

चमारों का गांव ना सड़क ना कोई मरघट। गांव से शहर की तरफ जाने वाली सड़क तक पहुँचने के बीच तकरीबन ढेड़ किलोमीटर खेतों की पगडंडियों से गुजरकर जाना पड़ता था।

श्रावण का महीना था, बरसात हो रखी थी कि फु…

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रोहित वेमुला के भारतीय वामपंथ पर विचार

रोहित वेमुला को हॉस्टल से निकाला तो पाँच छात्रों के साथ था, पर जब वो निकला तो उसके साथ संघर्ष करने के लिए पाँच नहीं सैकड़ों छात्रों का हुजूम निकला। उसके साथ जब “अंबेडकर स्टूडेंन्ट्स एसोसियशन” के छा…

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डॉ. अम्बेडकर का मूल चिंतन है स्त्री चिंतन

भी तक दलित महिला आन्दोलन गैर दलित महिला आन्दोलन से जुड़ने व उनके साथ मिलकर काम करने में विश्वास रखता था। पर गैर दलित महिला आन्दोलन की सवर्ण मानसिकता से ग्रसित स्त्री नेता दलित महिलाओं से भेदभाव करत…

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दलित महिला कारवां और डॉ. अम्बेडकर

‘दलित समाज ने कितनी प्रगति की है इसे मैं दलित स्त्री की प्रगति से तौलता हूं,’ जैसी गंभीर और विचारोत्तेजक व स्त्रियों के घोर पक्ष में की गई टिप्पणी के टिप्पणीकार डा. अम्बेडकर द्वारा स्त्रियों के पक्…

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डॉ. अंबेडकर और गांधी की पहली मुलाकात

डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और गांधी की पहली मुलाकात 14 अगस्त 1931 को बंबई में मणि भवन में हुई थी। इसके अलावा सबसे ज्यादा अचरज कर देने वाली बात यह है कि गांधी को इससे पहले यह भी नहीं पता था कि बाबासाहेब …

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पेरियार ललई सिंह यादव को याद करते हुए

पेरियार ललई सिंह यादव का जन्म 1 सितम्बर 1911 को गाँव कठारा, जिला कानपुर देहात के एक समाज सुधारक सामान्य कृषक परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम ‘लल्ला’ था, लल्ला से ‘ललई’ हुए।

पिता गुज्जू सिंह …

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भगत सिंह और उनके साथियों ने किया था साइमन कमीशन का विरोध जिस को बाबासाहेब आंबेडकर ले कर आये थे

जून, 1928 में भगत सिंह का एक “अछूत का सवाल” नामक लेख “किरती” पत्रिका में छपा था। इस लेख में वो सिंध के “नूर मुहम्मद” साब जो बंबई परिषद के सदस्य थे, उनके एक 1926 में दिए गए वक्तव्य का समर्थन करते है…

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दलित मशहूर गीतकार “शैलेन्द्र” को याद करते हुए

दलित प्रतिभापुंज मशहूर गीतकार “शैलेन्द्र” जी का जन्म आज ही के दिन 30 अगस्त 1921 को रावलपिंडी (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है) में एक “धुसिया चर्मकार” जाति में हुआ था। वो एक महान गीतकार के साथ-साथ एक …

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1945 में वित्त बिल पर बहस हुई तो डॉ. अंबेडकर जी ने शिकायत के तौर पर किस तरह गरज कर कहा

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय एक विशेष जाति के हित संवर्धन का कार्य करता है। एक कायस्थ लड़की को इसके धर्मशास्त्र विभाग ने प्रवेश नहीं दिया। 1916 में इसके कॉर्ट ने गैर-ब्राह्मण को हिन्दू घर्म के प्रोफे…

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मंदिर नहीं है हमारा अंतिम लक्ष्य

डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर जी ने अछूत वर्ग के मंदिर प्रवेश के लिए दो मुख्य आंदोलन चलाये थे। पूना के “पार्वतीवाई मंदिर” और नासिक के “कालाराम मंदिर” के लिए।

बाबा साहेब के द्वारा इन आंदोलनों का चलाने क…

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