क्या सिख लीडर सिख धर्म को बचा पाएंगे ब्रह्मिनिस्म के हमलो से?


ब्राह्मणवाद ने जैन धर्म को खा लिया, यह बौद्ध धर्म को निगल गया, क्या सिख धर्म ब्राह्मणवाद के निरंतर हमले से बच सकता है। यदि हाँ, तो कब तक?

जो सिख ‘दसम ग्रन्थ’ को मानते हैं कि गुरु गोबिंद सिंह ने लिखा है वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ब्राह्मण के प्रभाव में आये सिख हैं। दसम ग्रन्थ को जब मैंने पढ़ा तो लगा किसी पण्डे का लिखा काम-शास्त्र पढ़ रहा हूँ।

अपने माता जी और चारों बच्चों को मानवता के लिए बलिदान हो जाने देने वाले और युद्ध में आगे रहने वाले सिखों के दसवें गुरु को कब फुर्सत मिली होगी कि इस तरह के लचर साहित्य का तसव्वुर करे और लिखे भी? इतिहास से अक्ल लेनी चाहिए कि ये काम ब्राह्मण के हैं…

और उसने न केवल कूड़ा कचरा लिखा बल्कि उसको दूसरों के आँगन में भी फेंक आया. उसने ये कचरा सिखों के आँगन में भी फेंक दिया है। समय सीमा के इस पार खड़े कुछ सिखों ने इसे अन्धविश्वासी लहजे में मान लिया है कि गुरु जी ने लिखा है और इसलिए सजावट का सामान है. हद है!

ब्राह्मण की मक्कारी को सबसे ज्यादा किसी ने समझा है तो वह दलित समुदाय है. बहुतेरे सिख अभी भी इसे समझने में फम्बल कर जाते हैं। बहरहाल, सुनने में आया है कि कहीं कहीं किसी गुरूद्वारे में दसम ग्रन्थ का भी ‘प्रकाश’ करना है या हो रहा है।

चंद रोज़ पहले मोरिंडा में कुछ सिखों ने गुरूद्वारे में ही पंडों को बुला कर हवन करा डाला. बरसों पहले बादल साहेब का चंद्रास्वामी द्वारा किया गया ‘एतिहासिक’ हवन याद आ गया. अभी सरकार अमरिंदर की है। वह कांग्रेसी है. नेशनलिस्ट है। ब्राह्मण अजेंडा पर ही काम करेगा. वह बादल से भी पहले का ‘बादल’ है। ऐसे में पंजाब की चिंता होती है।

सिख धर्म जिस ने कभी ब्रह्मिनिस्म का मीट बना का खा लिया था वो आज ब्रह्मिनिस्म के दवारा खाया जा रहा है यह सब आज के सिख लीडर्स की कमीओ के कारण हो रहा है।  सिख धर्म की एक शांत बिना खून बहाये बिना दर्द किये ब्रह्मिन लोग सर्जरी कर रहे है और सिख नेता और सिख लीडर्स उस सर्जरी का मजा ले रहे है।

अगर आप मेरे से पूछो तो सिख धर्म ख़तम हो चूका है। ब्रह्मिनिस्म ने खा लिया है सिख धर्म को भी जिस तरह ब्रह्मिनिस्म ने खा लिया जैन और बुद्ध धर्म को।

सिख धर्म में यहाँ गौ का कोई महत्व नहीं उसी गौ को आज सिख पूज रहे है। सिख सभी हिन्दुओ के मंदिरो में जा कर पूजा पाठ कर रहे है। सिख राखी उत्सव माना रहे है सब की सिख धर्म से इस का कुछ लेना देना नहीं, इतना ही नहीं सिख लोग गुरु ग्रन्थ साहिब की पालकी को राखी पहना रहे है।

सिख आजकल गुरु ग्रन्थ साहिब को सर्दियों में कम्बल से ढकने लगे है की गुरु ग्रन्थ साहिब को ठण्ड से बचाया जा सके। मडिया पूजना और शारद करना कुछ एक उदहारण है जो बता रहे है की सिख धर्म ख़तम हो चूका है, ब्रह्मिनिस्म खा गया है सिख धर्म को।

और सिख नेता और लीडर्स अभी तक ब्रह्मिनिस्म के खिलाफ उठे नहीं है।

कुछ सिख दोस्तों से बात कर रहा था इन सब के बारे में और उनका कहना था की सिख धर्म बुद्ध धर्म नहीं की ख़तम हो जाए, उनका कहना था की सिख धर्म में गुरु गोबिंद सिंह जी ने तलवार दी है हमें और हम जानते है कैसे सिख धर्म की रक्षा करनी है।

मैं मानता हु की सिख धर्म में गुरु गोबिंद सिंह जी ने तलवार दी है और मुझे इस बात में भी कोई शक नहीं की सिख योद्धा पूरी तरह से काबिल है उस तलवार का इस्तैमाल करने में।

पर बात अब तलवार की नहीं है बात आपके पेन की है।

पेन में तलवार से जयादा ताकत है। और ब्राह्मण सिख धर्म का इतिहास लिख रहे है जैसे उनको अच्छा लगता है। बुद्ध धर्म में भी अगर देखा जाए तो बुद्ध नै ‘मारने की इच्छा’ और ‘मारने की ज़रूरत’ में फर्क सीखाया था

पर क्या हुआ बुद्ध धर्म का?

बुद्ध धर्म को खा गया ब्रह्मिनिस्म।

जब तक सिख लीडर्स नहीं समझेगे की उनका असली दुश्मन ब्रह्मिनिस्म है तब तक उस का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। अब तक सिख लीडर्स इतना हे नहीं समझ पाए है, लड़ने की बात तो बाद की आएगी।

अगर सिख धर्म को बचाना है तो जागना होगा सिख लीडर्स को। और लड़ना होगा ब्रह्मिनिस्म के खिलाफ।

क्या सिख लीडर सिख धर्म को बचा पाएंगे ब्रह्मिनिस्म के हमलो से?

आपको क्या लगता है? बताये हमें।

लेखक – गुरिंदर आज़ाद और वेलीवाड़ा टीम

चित्र साभार – कैच न्यूज़

Read it in English from Brahmanist Assault on Sikh Faith – Appropriation of Sikh Faith By Brahmins

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