डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के कश्मीर मुद्दे पर क्या विचार थे? – झूठे कथन से सावधान


कल बीजेपी सरकार ने आर्टिकल 370 को रद करने का निर्णय लिया तो उस से पहले और बाद में बहुत सी जानकारी डॉ आंबेडकर के बारे में फैलाना चालू था। जानकारी जो न की सिर्फ झूठी है बल्कि डॉ आंबेडकर को अपमान करने लिए बीजेपी आरएसएस के लोगो ने फैलाया।

ऐसी ही एक पोस्ट जो सोशल मीडिया पर बहुत शेयर की गयी थी और जिस के अनुसार यह कहा जा रहा है की

डॉ. आंबेडकर ने शेख़ अब्दुल्ला से साफ शब्दों में कह दिया था, ‘आप चाहते हो कि भारत आपकी सीमाओं की रक्षा करे, वह आपके क्षेत्र में सड़कें बनाए, वह आपको खाद्य सामग्री दे, और कश्मीर का वही दर्ज़ा हो जो भारत का है! लेकिन भारत सरकार के पास केवल सीमित अधिकार हों और भारत के लोगों को कश्मीर में कोई अधिकार नहीं हों। ऐसे प्रस्ताव को मंज़ूरी देना भारत के हितों से दग़ाबाज़ी करने जैसा होगा और मैं भारत का कानून मंत्री होते हुए ऐसा कभी नहीं करूंगा।’

यह एक नकली कथन है जो की डॉ आंबेडकर ने कब भी नहीं लिखा और बोला।

जब भी कश्मीर ख़बरों में होता है, अंबेडकर के विचारों से संबंधित यह वायरल संदेश सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया जाता है। अंबेडकर के इस उद्धरण का उपयोग सुब्रमण्यम स्वामी, सुशील पंडित और कई अन्य दक्षिणपंथी नेताओं ने कश्मीर के मुद्दों से संबंधित लगभग हर मंच पर किया है। आज भारत जैसे प्रसिद्ध प्रकाशनों में विभिन्न स्तंभ, दैनिक पायनियर, द हिंदू, रोजगार समाचार, भारतीय रक्षा समीक्षा, लॉ कॉर्नर, डेलीओ और अधिक ने अंबेडकर के इस उद्धरण को आगे बढ़ाया है।

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का पुरा साहित्य पढा जाये तो पता चलता है की बाबासाहेब ने आर्टिकल 370 पर कभी भी कोई भी टिप्पणी नहीं की थी। ऐसा लगता है की यह भी आरएसएस की ऑफिस से निकली हुई एक और जूठी खबर है जिस का डॉ आंबेडकर से कोई लेना देना नहीं है।

आरएसएस कई लोगो के बारे में ऐसे झूठ छाप चुकी है. ऐसा ही एक झुठा पत्र आरएसएस की तरफ से लॉर्ड मेकॉले बारे में भी प्रसारीत किया जाता रहा है जिसे हम सब अच्छे तरिके से जानते है. BJP सरकार ने आर्टिकल 370 रद्द करने का जो निर्णय दिया है उस पर आरएसएस के लोग बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से प्रकाशित हुये झुठ को प्रसारीत किया जा रहा है. सभी आंबेडकरवादी और सभी भारतीय जनता आरएसएस के इस झूठ से सावधान रहे.

अगर किसी के पास कोई प्रमाण है की यह कथन डॉ आंबेडकर का है तो हमें बताए प्रमाण के साथ की किस जगह और किताब में डॉ आंबेडकर ने यह कहा और लिखा। किसी ब्राह्मणवादी वेबसाइट और किताब का उदाहरण ना दे।

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डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने 10 October 1951 में संसद में दिये हुए अपने भाषण में कश्मीर मुद्दे पर अपने विचार रखे थे जो इस प्रकार थे. जिस का प्रमाण आप बाबासाहेब आंबेडकर की किताब खंड 14 भाग 2 के पेज नंबर 1317 से देख सकते है। 

‘पाकिस्तान के साथ हमारा झगड़ा हमारी विदेश नीति का हिस्सा है जिसको लेकर मैं गहरा असंतोष महसूस करता हूं। पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्तों में खटास दो कारणों से है — एक है कश्मीर और दूसरा है पूर्वी बंगाल में हमारे लोगों के हालात। मुझे लगता है कि हमें कश्मीर के बजाय पूर्वी बंगाल पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए जहां जैसा कि हमें अखबारों से पता चल रहा है, हमारे लोग असहनीय स्थिति में जी रहे हैं। उस पर ध्यान देने के बजाय हम अपना पूरा ज़ोर कश्मीर मुद्दे पर लगा रहे हैं। उसमें भी मुझे लगता है कि हम एक अवास्तविक पहलू पर लड़ रहे हैं। हम अपना अधिकतम समय इस बात की चर्चा पर लगा रहे हैं कि कौन सही है और कौन ग़लत। मेरे विचार से असली मुद्दा यह नहीं है कि सही कौन है बल्कि यह कि सही क्या है। और इसे यदि मूल सवाल के तौर पर लें तो मेरा विचार हमेशा से यही रहा है कि कश्मीर का विभाजन ही सही समाधान है। हिंदू और बौद्ध हिस्से भारत को दे दिए जाएं और मुस्लिम हिस्सा पाकिस्तान को जैसा कि हमने भारत के मामले में किया। कश्मीर के मुस्लिम भाग से हमारा कोई लेनादेना नहीं है। यह कश्मीर के मुसलमानों और पाकिस्तान का मामला है। वे जैसा चाहें, वैसा तय करें। या यदि आप चाहें तो इसे तीन भागों में बांट दें; युद्धविराम क्षेत्र, घाटी और जम्मू-लद्दाख का इलाका और जनमतसंग्रह केवल घाटी में कराएं। अभी जिस जनमत संग्रह का प्रस्ताव है, उसको लेकर मेरी यही आशंका है कि यह चूंकि पूरे इलाके में होने की बात है, तो इससे कश्मीर के हिंदू और बौद्ध अपनी इच्छा के विरुद्ध पाकिस्तान में रहने को बाध्य हो जाएंगे और हमें वैसी ही समस्याओं का सामना करना पड़ेगा जैसा कि हम आज पूर्वी बंगाल में देख पा रहे हैं।’

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Ambedkar on Kashmir issue

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