चायवाले से पकोड़ेवाला बनने के लिए…


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चायवाले से पकोड़ेवाला बनने के लिए

बात-बात पे नाटक करने के लिए

मुझ मक्कार को वोट दो, वोट दो, चौकीदार को वोट दो

 

भाइयो बहनो, मित्रो ! आपके पैसो से विदेश घूमने के लिए

गाय को विश्वमाता बनाने के लिए

कॉर्पोरेट माफिया को मसीहा बनाने के लिए

अंबानी-अडानी की दलाली से ‘विकास’ करने के लिए

मुझ मक्कार को वोट दो वोट दो चौकीदार को वोट दो

 

खंड-खंड हिन्दू पाखंड करने के लिए

वर्णाश्रम और जाति पर घमंड करने के लिए

फुले-अंबेडकर-पेरियार से उलटे पाँव भागने के लिए

मुझ मक्कार को वोट दो वोट दो चौकीदार को वोट दो

 

मस्जिद गिरजा गिराकर देश भक्त बनने के लिए

दंगा-फसाद की दाढ़ी-मूछ उगाने के लिए

धर्म के नाम पर बस क़त्ले-आम करने के लिए

मुझ मक्कार को वोट दो वोट दो चौकीदार को वोट दो

 

पत्नी को छोड़ कुंवारा बनने के लिए

दोस्त की बिटिया से छेड़खानी करने के लिए

बूढी माँ को लाइन में खड़ा करने के लिए

काली टोपी और चड्डी से फिर लाज बचाने के लिए

मुझ मक्कार को वोट दो वोट दो चौकीदार को वोट दो

 

वेदो में राकेट सायंस ढूंढने के लिए,

गणेश की प्लास्टिक सर्जरी करवाने के लिए

माँ गंगे को साफ़ कर सरस्वती खोजने के लिए

सम्पूर्ण विश्व में संघ की शाखा खोलने के लिए

मुझ मक्कार को वोट दो वोट दो चौकीदार को वोट दो

 

आदिवासियों को बेघर करने के लिए,

दलितों-मुसलमानो का नरसंहार करने के लिए,

ओबीसी का सम्पूर्ण हक़ छीनने के लिए

शिक्षा संस्थानों को संघ की शाखाओ में तब्दील करने के लिए

मुझ मक्कार को वोट दो वोटदो चौकीदार को वोट दो

 

१५लाख,अच्छेदिन,२करोड़रोज़गार का जुमला फिर झेलने के लिए,

नोटबंदी कर अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने के लिए,

मोटाभाई लुटेरों को विदेश भगाने के लिए,

तुम्हे हिन्दू-मुस्लमान में फिर उलझाने के लिए

मेरे विरोधियो को देशद्रोही, नक्सली बताने के लिए

मुझ मक्कार को वोट दो वोटदो चौकीदार को वोट दो

 

इंसानियत के नाम से दूर भागने के लिए,

देश को शमशान-कब्रिस्तान बनाने के लिए,

संविधान की धज्जिया उड़ाने के लिए

चौकीदारों के नाम पर भद्दी राजनीति करने के लिए

मुझ मक्कार को वोट दो वोट दो चौकीदार को वोटदो

 

चायवाले से पकोड़े वाला बनने के लिए

बात-बात पे नाटक करने के लिए

मुझ मक्कार को वोट दो वोट दो चौकीदार को वोटदो

 

Poet – ओबेद मानवटकर (पीएचडी शोध विद्यार्थी)

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