चंद्रशेखर आजाद रावण पर रास्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका)


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चंद्रशेखर आजाद रावण आज दलित अस्मिता और आजाद खयालो के प्रतीक बन चुके हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने उन पर रास्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लगाकर इलाहबाद हाई कोर्ट के उस आदेश की तौहीन की है जिसमे उसने आजाद को बेल देते हुए कहा के उन पर लगाये गए आरोप राजनीती से प्रेरित हैं. क्या उत्तर प्रदेश सरकार यह बताएगी के उत्तर प्रदेश में सवर्णों के द्वारा हो रहे दलितों के ऊपर अत्याचार पर कितने लोगो पर राष्ट्र द्रोह या रास्ट्रीय सुरक्षा की धाराए लगाई गयी है. ज्यादा नहीं तो इतना ही बता दे के सहारनपुर के दंगाई ठाकुरों पर कितनी धाराए लगाईं गयी है . ये बेहद शर्म की बात है के आज पूरे प्रदेश में जातीय दम्भ्ता का सन्देश भेजा जा रहा है. दलितों पर अत्याचारों पर पुलिस या प्रशाशनिक कार्यवाही तो नहीं होती लेकिन उसके विरोध में यदि कोई उग्र प्रदर्शन हो गया तो सारी चर्चाये उसी पर होती है.

हम उम्मीद करते है के कानूनी जानकर इसके विरुद्ध न्यायलय का दरवाजा खटखटाएंगे . इतने महीने जेल में रखने और चंद्रशेखर के स्वास्थ्य को जान्भुझकर ख़राब करने की साजिश की निंदा करनी होगी . सरकार ये बताये के एक व्यक्ति को इतने दिन जेल रखने के पीछे क्या साजिश है. क्या चंद्रशेखर और उनकी भीम सेना के विरुद्ध पहले भी कोई आरोप हैं?

सबसे निराशाजनक बात है है राजनितिक दलों की. बसपा इस मामले में साफ़ नहीं है जो बहुत दुखद है. समाजवादी पार्टी को तो वैसे भी दलितों से ज्यादा मतलब नहीं रखना. कांग्रेस अभी गुजरात में व्यस्त है लेकिन एक रास्ट्रीय पार्टी के तौर पर उसे कहना होगा. हम रास्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से अनुरोध करते हैं के इस घटनाक्रम पर सीधे नज़र रखे और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करे.

सवाल ये है के आखिर सभी मामलो में जमानत मिलने के बाद ही प्रशाशन ने रासुका क्यों लगाया . हम उम्मीद करते है के न्यायलय जिला प्रशासन की इस कार्यवाही पर रोक लगाएगा. साथियो को पुनः इलाहबाद उच्च न्यायलय जाना चाहिए और इसे न्यायलय के समक्ष रखा जाना चाहिए के एक व्यक्ति जिसका जेल में स्वास्थ्य गिराने की कोशिश हो रही है और जिसने इतने महीने जेल में गुजार दिए हैं उसे बेल मिलने से रोकने की कोशिश हो रही है जो निंदनीय है और ये काम उनके निर्देशन में हो रहा है जो बहुत से संगीन मामलो में ‘न्याय’ से बचने की कोशिश कर रहे है.

चंद्रशेखर आजाद और उनके साथियो के जज्बे को सलाम. देश के संविधान के अनुसार दलितों में जागरूकता लाना और उनमे आत्मनिर्भरता पैदा करना कोई अपराध नहीं है. अपराध उनलोगों ने किया जिन्होंने दलितों के घर जलाये. सरकार बताये के अभी तक सहारनपुर की घटनापर उसने क्या किया है. चंद्रशेखर आजाद की कानूनी रिहाई को रोकने के लिए तरह तरह की तिकड़मे करना निंदनीय है.

–विद्या भूषण रावत

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