मुझे भविष्य का समतामूलक समाज दिखाई दे रहा है – सूरज कुमार बौद्ध


देश को तथाकथित नजरिए से ही सही पर आजाद हुए 70 साल हो चुके हैं लेकिन भारत की बहुसंख्य आबादी आज भी दाने दाने को मोहताज है। भारत की गिनती आज भी भूखमरी से पीड़ित देशों में होती है। राष्ट्रभक्ति, देशभक्ति, हिंदू धर्म, मुस्लिम धर्म. सब कुछ ठीक है हमें इससे कोई समस्या नहीं है लेकिन इस बात का जवाब कौन देगा कि आज भी इस देश में करोड़ों की आबादी रात में भूखों सोती है।

मुट्ठी भर के लोग अपने धार्मिक व्यवस्था के आड़ में सत्ता पर कब्जा जमाए हुए हैं जो कि आए दिन आम अवाम मजदूर एवं वंचित तबके पर हमला करते रहते हैं। ऐसे में असली लड़ाई इस बात पर निर्भर करती है कि ऐसी कौन सी नीति होगी जब इस देश की आम अवाम एवं वंचित तबके के लोगों की पहुंच दो जुन रोटी तक हो पाएगी।

दरअसल सारी गलती इन सत्ताखोर नेताओं की नहीं है। इन नेताओं को सत्ताखोर बनाने में प्रत्यक्षतः आम आवाम की अंधभक्ति ही होती है। आपको क्या लगता है यह भक्त सिर्फ भक्त हैं। नहीं दरअसल भक्त बनाए जाते हैं। जिनका काम होता है अपने निरंकुश नेताओं को, निरंकुश शासकों को  सही ठहराना चाहे वह बलात्कारी ही क्यों ना हो।

सहारनपुर में अनुसूचित जाति के लोगों के 60 से अधिक घर जला दिए गए, कई लोगों को तलवार से काट कर मौत के घाट उतार दिया गया. तब क्यों सोई हुई थी यह जनता? अखलाख मारे गए, रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या हुई , उना कांड होता है, गोरखपुर में 70 से अधिक बच्चों की हत्या होती है, अनीता को मरने पर मजबूर किया गया।  और कितनी बहनों की हत्या हुई, कितनी बहनों के साथ बलात्कार हुआ पर भारत की जनता खामोश लाश की तरह सोई रही।

लेकिन एक बलात्कारी के समर्थन में लाखों जनता सड़क पर उतरकर आतंक का नंगा नाच खेलती है। शर्म आती है मुझे ऐसे भक्तों के घटिया करतूतों पर। हमारी असली लड़ाई इसी रणनीति के खिलाफ होनी चाहिए जो कि भक्त पैदा करते हैं।

अगर मैं ईमानदारी से कहूं तो भाजपा देश की सबसे कमजोर संगठन है क्योंकि भाजपा केवल पाखंडवाद पर टिकी हुई है। जिस दिन हम भाजपा के पाखंड पर हमला कर देंगे उस दिन बहुजन मूलनिवासी समाज के लोग जो कि भाजपा के सांप्रदायिक राजनीति में फंसे हुए हैं वह अपने आप भाजपा से बाहर निकलकर अंबेडकरवाद के रास्ते पर चल पड़ेंगे।

आज पूरे देश में अंबेडकरवाद का पताका दिखाई पड़ रहा है। बहुजनों में जय भीम का जोश सर चढ़ कर बोल रहा है। अब जरूरत है इस जोश को पूरे होश के साथ सही लड़ाई से जोड़ने की। पूरे देश में धर्म के आड़ पर अपनी राजनीतिक सत्ता को स्थापित किए हुए लोगों को इस बात का डर अब सताने लगा है कि आने वाला भारत अंबेडकरवादियों का होगा, प्रगतिशील सोच वालों का होगा।

सामंतवादी ताकतों को बाबा साहेब अंबेडकर के ‘समतामूलक समाज’ की तरफ रुख कर लेना चाहिए क्योंकि शोषकों को सत्ता तो छोड़नी पड़ेगी। खैर सभी मूलनिवासियों को क्रांतिकारी जय भीम कहते हुए आखरी लाइन अपनी कविता “अम्बेडकर या गोलवलकर?” से कि- “अब समानता की बात सबको मान लेना चाहिए,

भीम युद्ध की आहट को पहचान लेना चाहिए।”

बहुजन समाज एकजुट हो रहा है। मूलनिवासी संकल्पना को जन स्वीकृति मिल चुकी है। अब बेजुबानों ने बोलना शुरु कर दिया है। सच कहूं  तो मुझे भविष्य का समतामूलक समाज दिखाई दे रहा है…

– सूरज कुमार बौद्ध

(लेखक भारतीय मूलनिवासी संगठन के राष्ट्रीय महासचिव हैं।)

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4 Comments

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  1. 1
    Bharat S Satyarthy

    We endorse your mood that Samta Moolak Samaj establishment is in its process and only a momentum is required to channelise the energy of a great lot of Bahujans.At the same time now the leadership crisis is on hand when Mayawatiji out of her self aggrandisement bringing her brother n nephew ( both novice) on the front line…perhaps the faith in her is at its attrition.

  2. 2
    r.c.vivek

    Congress and BJP is ruling the country since independence but not due to that they are very intelligent but fact is that they are ruling the country due to ignorance of the Bahujan people or Mulnivasi ,hence aware them about their constitutional rights ,Congress and BJP will be disappeared within short period .
    Hence adopt one formula that is awareness only .

  3. 3
    Dr.Berwa

    So long as there are caste your thinking is a mirage., for what ever you call Bahujan.
    I won’t mind to be proven wrong. Dr.Ambedkar has written enough on this issue but so called Bahujans have betrayed his teaching and his mission to liberate Bahujans.The so called unity is moving as a snail’s pace.Could some one daring to speed up the process?

    • 4
      Bharat S Satyarthy

      Dr Berea, you are right but your way needs a reform.Should we keep sitting waiting for the end of castes or caste creater or casteism.Together with our untiring efforts to go ahead.You are aware that during stringent casteism we have Broken ice and we will attain success, the deacon of casteism will either die or our castes will come up on equal footings….Jai Bheem!!!

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