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बहुजन प्यारे! बौद्ध बनो तुम, खत्म करो नादानी…

बहुजन प्यारे!
बौद्ध बनो तुम,
खत्म करो नादानी…

दलितता को छोड़ दो, है ये
युगों-युगों की ग़ुलामी!

दलितता है कमजोरी और
लाचारी की पहचान
‘दलित’ कहकर खुद का तुम
न करना अब अपमान

बौद्ध-बहुजन अपनी ब…

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हरिजन नहीं हरिद्रोही बनो – सूरज कुमार बौद्ध

अब संतोष नहीं संताप करो,
नवीन इतिहास का परिमाप गढ़ो।
अपने हक हुक़ूक़ हेतु आरोही बनो
विद्रोही बनो ! विद्रोही बनो !
गुलामी की अस्तबल से बाहर निकल
अटल अडिग अश्वरोही बनो।
विद्रोही बनो ! विद्रोही बनो…

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मैं विकास बोल रहा हूं।

मैं विकास बोल रहा हूं,
मेरे जनक नरेंद्र मोदी हैं।

गुजरात में जन्मा हुआ,
चाय बेचकर पला-बढ़ा।
डिग्री विग्री की बात न पूछो,
सहपाठी का नाम न पूछो,
मेरा नाम विकास है
मुझसे दाल का दाम न पूछो।
मुझ…

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अगर मांगने से दुआ कबूल होती – आधी आबादी को अपने हक़ के लिए लड़ने को प्रेरित करती सूरज कुमार बौद्ध की कविता

आधी आबादी को अपने हक़ के लिए लड़ने को प्रेरित करती सूरज कुमार बौद्ध की कविता: अगर मांगने से दुआ कबूल होती।

हजारों सालों से धर्मशास्त्रों के माध्यम से इस देश के आधी आबादी का दमन होता रहा। मनुस्मृति…

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क्रांति की रुख का आह्वान करती हुई सामाजिक क्रांतिकारी चिंतक सूरज कुमार बौद्ध की कविता: हम बढ़ते चलेंगे

अगर मानव अधिकारों के उल्लंघन को एक आधार मानकर देखा जाए तो भारत की पहचान एक जातीय हिंसा और उत्पीड़नकारी देश के रुप में की जाती है। यहां प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक, पंचायत से लेकर सर्वोच…

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तब तुम क्या करोगे?

यदि तुम्हें,
धकेलकर गांव से बाहर कर दिया जाय
पानी तक न लेने दिया जाय कुएं से
दुत्कारा फटकारा जाय चिल-चिलाती दोपहर में
कहा जाय तोड़ने को पत्थर
काम के बदले
दिया जाय खाने को जूठन
तब तुम क्या करोगे?

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