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Poem

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चायवाले से पकोड़ेवाला बनने के लिए…

चायवाले से पकोड़ेवाला बनने के लिए

बात-बात पे नाटक करने के लिए

मुझ मक्कार को वोट दो, वोट दो, चौकीदार को वोट दो

 

भाइयो बहनो, मित्रो ! आपके पैसो से विदेश घूमने के लिए

गाय को विश्वम…

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सचिन वालिया को समर्पित कविता: सचिन की शहादत

सचिन की शहादत

भीड़ की शक्ल में
तुम कायर राजपूतों ने
छिपकर गोलियां चलाई
भीम आर्मी सचिन पर।
तुम बहुत मुग़ालते में हो,
तुम्हें लगा कि हम वीरान हो गए
आसमां से गिरकर समशान हो गए।
सचिन की शहादत इंक…

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बहुजन प्यारे! बौद्ध बनो तुम, खत्म करो नादानी…

बहुजन प्यारे!
बौद्ध बनो तुम,
खत्म करो नादानी…

दलितता को छोड़ दो, है ये
युगों-युगों की ग़ुलामी!

दलितता है कमजोरी और
लाचारी की पहचान
‘दलित’ कहकर खुद का तुम
न करना अब अपमान

बौद्ध-बहुजन अपनी ब…

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धरती आबा बिरसा मुंडा को समर्पित सूरज कुमार बौद्ध की कविता- अबुआ दिशुम, अबुआ राज

अबुआ दिशुम अबुआ राज

हे धरती आबा,
तुम याद आते हो।
खनिज धातुओं के मोह में
राज्य पोषित ताकतें
हमारी बस्तियां जलाकर
अपना घर बसा रहे हैं।
मगर हम लड़ रहे हैं
केकड़े की तरह इन बगुलों के
गर्दन क…

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पाखण्डवाद की साजिश का पर्दाफाश करती उदय कुमार की कविता – ये है कैसा करवाचौथ?

जय भीम साथियों, जैसा कि यह तथ्य है कि अपने पुरखों की प्रेरणा को मुकम्मल मकाम तक पहुंचाते बाबा साहेब अंबेडकर ने भारत की महिलाओं को ब्राम्हणवाद की चंगुल से मुक्त कराया। उठने , पढ़ने लिखने, नौकरी करने,…

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कलमकारों के क़त्ल पर रूह कुरेदती सूरज कुमार बौद्ध की कविता – कलम की आवाज़

नरेंद्र दाभोलकर, कलबुर्गी, पनसारे, और अब गौरी लंकेश। आए दिन अनेक लेखकों, पत्रकारों, कलमकारों को मौत की घाट उतार दिया गया। इन बेबाक आवाजों का गुनाह सिर्फ इतना है कि ये साम्प्रदायिक मानसिकता एवं फ़ासी…

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“अभी मरे नहीं हैं हम” – पढ़िए रोहित वेमुला को समर्पित सूरज कुमार बौद्ध की रचना

सत्ता की सफारी पर सवार होकर जब कोई  तानाशाह शासक सच पर पाबंदी लगाता है तो उसके विरोध में जज्बाती चेहरों का सामने आ जाना तय हो जाता है क्योंकि जब भी किसी को हद से ज्यादा डराया जाता है तो उसके दिल मे…

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क्रांति की रुख का आह्वान करती हुई सामाजिक क्रांतिकारी चिंतक सूरज कुमार बौद्ध की कविता: हम बढ़ते चलेंगे

अगर मानव अधिकारों के उल्लंघन को एक आधार मानकर देखा जाए तो भारत की पहचान एक जातीय हिंसा और उत्पीड़नकारी देश के रुप में की जाती है। यहां प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक, पंचायत से लेकर सर्वोच…

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फर्जी गौरक्षकों की पोल खोलती यह कविता – गौरक्षक या नरभक्षक?

आज देश में गौ रक्षा के नाम पर गुंडागर्दी इस तरह से बढ़ चुकी है की अब आम नागरिक अब गाय के खरीद फरोख्त से भी डरता है। गाय के नाम पर आए दिन मजलूमों और मुसलमानों की हत्या की जा रही है। गाय खाना पाप है …

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