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Categoryबाबा साहेब अम्बेड़कर या भगवान अम्बेड़कर – तय करो क्या चाहिए
एक बडा सा छायादार वृक्ष, हर कोई उसकी छाया मे बैठ सके, आराम कर सके. फिर प्रवेश होता है परजीवियों का अमरबेल कह लो, वो धीरे धीरे सारे वृक्ष पर छाती चली जाती है. अब कुछ सालों बाद वृक्ष मर जाता है और छा…
गौ रक्षा के नाम पर अत्याचार और लूट को रोके सरकार
एक अप्रेल को राजस्थान के ‘गौ भक्तो” ने अपनी ‘देशभक्ति” का परिचय देते हुए एक निरपराध किसान को राष्ट्रीय राजमार्ग अलवर बहरोड़ रोड में बेरहमी से मार डाला। उसका कसूर सिर्फ इतना के वह गाय पालने वाला मु…
शिक्षा संघर्ष और संघठन
पहली पंक्ति मे गलियारे के पास वाली कुर्सी पर बैठा हूं, सारी कुर्सियाँ भरी हैं. आईआईटी, एमबीबीएस, सीए, कमर्शियल पायलट, न्यायिक सेवा, आईएएस और भी न जाने कितनी ही परीक्षाओं मे परचम लहराने वाले दलित मि…
20 झूठ जो ऊँची जाति के लोग दलित और पिछड़े वर्गों के विषय में बोलते है
कुछ अफ़वाए एवं धारणाये दलित और पिछड़े वर्गों के विषय में पूरे भारत में फैलायी जा रही है अपने आप को उच्च जाती का बताने वाले यह धारणाये समाज में फैलाकर डराते है। यहाँ कुछ मुख्य मिथक जो ऊंची जाती के मा…
कौन हैं हम? हर एक दलित की अपनी एक कहानी है
कौन हैं हम? हर एक दलित की अपनी एक कहानी है . प्रकृति का नियम है. घना अँधेरा अपने साथ एक आशा की किरण लाता है. ये किरण सब कुछ दृश्य कर देती है. अँधेरे का निशान मिटा देती है. हम सब की कोई ना कोई कहानी…