नेहरू ने डॉ अम्बेडकर का किया अपमान जब उन्होंने ‘बुद्ध और उनके धम्म’ को प्रकाशित करने के लिए मदद मांगी
डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर ने अपने लेखन को प्रकाशित करने के लिए पूरे जीवन संघर्ष किया। उनकी ज्यादातर किताबें बंबई के एक प्रकाशक ‘थाकर एंड कंपनी’ द्वारा प्रकाशित की जाती थीं। यह एक छोटा–सा ज्ञात तथ्य है कि डॉ अम्बेडकर के पास अपनी अंतिम पुस्तक “द बुद्धा एंड हिज़ धम्म” प्रकाशित करने के लिए कोई पैसा नहीं था।
डॉ बाबासाहेब अंबेडकर ने 14 सितंबर 1956 को, हिंदू धर्म छोड़ने और बौद्ध धर्म अपनाने से ठीक एक महीने पहले, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने अपनी पुस्तक ‘बुद्ध और उनके धम्म’ के प्रकाशन के लिए मदद मांगी। यह पत्र उस व्यक्ति के लिए था जिन्होंने अपने पूरे जीवन में डॉ अंबेडकर के साथ बुरा बर्ताव किया था।
डॉ अंबेडकर और नेहरू के बीच पत्रों के आदान–प्रदान के माध्यम से जो बातचीत हुई उसे आप नीचे पढ़ सकते हैं। नेहरू ने अहंकार और घृणा के साथ डॉ अम्बेडकर को एक स्टाल लगाने के लिए और अपनी खुद की किताबो को बेचने के लिए कहा!
‘बुद्ध और उनके धम्म’ पुस्तक के बारे में जवाहरलाल नेहरू को पत्र
डॉ बी आर अम्बेडकर ने 14 सितंबर 1956 को पंडित जवाहरलाल नेहरू को अपनी पुस्तक “द बुद्धा एंड द धम्मा” के संदर्भ में एक पत्र लिखा जो इस प्रकार है –
मेरे प्रिय पंडित जी,
मैं “द बुद्ध एंड हिज धम्मा” पुस्तक की विषय-सूची दिखाने वाली मुद्रित पुस्तिका की दो प्रतियों को संलग्न कर रहा हूं जिसका मैंने अभी–अभी समापन किया । किताब प्रकाशन में है। विषय-सूची से आप देख सकेंगे कि कार्य कितना विस्तृत है। सितंबर 1956 तक इस पुस्तक के बाजार में आने कि समंभावना है। मैंने अपने पांच साल इस पर व्यतीत करें हैं। यह पुस्तिका इस कार्य कि गुणवत्ता को प्रदर्शित करेगी।
इसकी छपाई की लागत बहुत अधिक है जो लगभग रु 20,000 के करीब की होगी। यह मेरी क्षमता से परे है और इसलिए मैं सभी स्रोतों से मदद मांग रहा हूं।
मैं सोच रहा हूं कि क्या भारत सरकार लगभग 500 प्रतियां खरीद सकती है जो विभिन्न पुस्तकालयों के बीच और उन कई विद्वानों के बीच वितरित की जाए जिन्हें सरकार बुद्ध की 2500 साल की सालगिरह के उत्सव के लिए इस वर्ष के दौरान आमंत्रित कर रही है।
मैं बौद्ध धर्म में आपकी रुचि को जानता हूं। इसीलिए मैं आपको लिख रहा हूं। मुझे उम्मीद है कि आप इस मामले में कुछ मदद करेंगें।
सादर,
(हस्ताक्षर)
बी आर अम्बेडकर,
26, अलीपुर रोड, सिविल लाइंस,
दिल्ली
जवाहरलाल नेहरू का जवाब
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने डॉ बी आर अम्बेडकर के पत्र का जवाब दिया और उन्होंने पुस्तक “बुद्ध और उनके धम्म” को खरीदने में असमर्थता व्यक्त की। उन्होंने बुद्ध जयंती समिति के अध्यक्ष डॉ राधाकृष्णन को इस बारे में संदर्भित किया।
श्री जवाहरलाल नेहरू,
भारत के प्रधानमंत्री,
दिल्ली
नंबर 2196-पीएमएच / 56.
15 सितंबर, 1956.
मेरे प्रिय डॉ अम्बेडकर,
14 सितंबर का आपका पत्र।
मुझे संदेह है कि आपके द्वारा सुझाई गई आपकी पुस्तक की प्रतियों को बड़ी संख्या में खरीदना मुमकिन नही है। हमने बुद्ध जयंती के अवसर पर प्रकाशन के लिए एक निश्चित राशि निर्धारित की थी। वह राशि समाप्त हो गई है, बल्कि, उससे अधिक राशि खर्च हो चुकी है। बौद्ध धर्म से संबंधित पुस्तकों के कुछ प्रस्तावों को हमारे द्वारा वित्तपोषित किया गया था परन्तु उन्हें भी अस्वीकार कर दिया गया है। तथापि, मैं आपका पत्र बुद्ध जयंती समिति के अध्यक्ष डॉ राधाकृष्णन को भेज रहा हूँ।
मैं सुझाव दे सकता हूं कि आपकी पुस्तक दिल्ली और अन्य जगहों पर बुद्ध जयंती समारोह के समय बिक सकती है क्योंकि उस समय कई लोग विदेशों से आएंगे। उस समय आपको एक अच्छी बिक्री मिल सकती है।
सादर,
(हस्ताक्षरित)
जवाहरलाल नेहरू
डॉ एस राधाकृष्णन ने फोन पर जानकारी देते हुए डॉ बी आर अम्बेडकर को इस संबंध में कुछ भी करने में असमर्थता व्यक्त की। इसके अलावा, डॉ अंबेडकर को बुद्ध की 2500 वीं जयंती मनाने वाली समिति से भी बाहर रखा गया।
Read it in English from Nehru Insulted Dr. Ambedkar for Asking Help to Publish The Buddha and His Dhamma
Translated to Hindi by – Raj and Jatin
Source – Dr Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches, Vol. 17, Part 1, 2014 English edition, page no. 444-445
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