31 विशेषाधिकार, जो सिर्फ ब्राह्मणों को हासिल हैं
1) अगर मैं ब्राह्मण हूं तो समाज में मुझे आदर मिलेगा और मेरे नाम के साथ जी या पंडित जोड़ा जाएगा
2) अगर मैं ब्राह्मण हूं तो मुझे देश की किसी भी हाउसिंग सोसायटी में घर मिलने में दिक्कत नहीं होगी.
3) सारे पब्लिक स्पेसेस मेरे लिए खुले होंगे.
4) देश भर में हर जगह मेरी सांस्कृतिक अभिरुचि का भोजन परोसने वाले रेस्टोरेंट मिल जाएंगे
5) अगर मेरे पड़ोसी या को-ट्रेवलर को अचानक मेरी जाति का पता चल जाए तो इसकी वजह से वह मुझसे नफरत नहीं करेगा/करेगी या न ही मुझे नीची निगाह से देखेगा/देखेगी.
6) अगर मैं ब्राह्मण हूं तो ब्राह्मण मेट्रिमोनी डॉट क़ॉम में अपनी या अपनी बेटी या बेटा की प्रोफाइल डालने के बावजूद मुझे जातिवादी नहीं माना जाएगा.
7) अगर मैं ब्राह्मण हूं तो इस बात के काफी मौके हैं कि यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए होने वाले इंटरव्यू बोर्ड में मेरी जाति के लोग ज़रूर होंगे.
8) अगर मैं ब्राह्मण हूं और गरीब हूं तो भी मेरी इज़्ज़त समाज में बनी रहेगी, “एक गांव का एक गरीब ब्राह्मण” कहानियों में ब्राह्मण को हमेशा विद्वान और नीतिवान माना जाता है.
9) अगर मैं ब्राह्मण हूं तो मेरे बच्चों के सिलेबस में जो कहानियां या किताबें पढ़ने को दी जाएंगी, उनमें से ज़्यादातर के लेखक मेरी जाति के होंगे.
10) जब भारतीय संस्कृति या हिंदू संस्कृति या सभ्यता की बात होगी तो मुझे मालूम होगा कि इसका निर्माण मेरी जाति के लोगों ने किया है और मेरी जाति इसके शिखर पर है.
11) मैं देश के किसी भी तीर्थ स्थान पर जाऊंगा तो वहां मेरे ठहरने की व्यवस्था हो जाएगी.
12) अगर मैं विदेश जाऊं तो वहां के भारतीय डायस्पोरा में मेरी जाति के लोग बहुसंख्यक होंगे और उन्हें डायवर्सिटी के सिद्धांत के तहत एशियन कटेगरी में होने का लाभ मिल रहा होगा.
13) अमेरिका या यूरोप में डायवर्सिटी प्रोग्राम के कारण काम मिलने के बावजूद मुझे कम टैलेंटेड नहीं माना जाएगा, न ही मैं खुद को कम टैलेंटेड मानूंगा.
14) भारत में डायवर्सिटी और अफरमेटिव एक्शन का मैं विरोध करूंगा और इसके बावजूद मुझे जातिवादी नहीं माना जाएगा.
15) भारतीय शास्त्रीय संगीत के नाम पर जो कुछ सुना जा रहा है, उसमें से ज़्यादातर मेरी जाति से संबंधित होगा.
16) मुझे मंदिरों में पुजारी होने का शत प्रतिशत आरक्षण प्राप्त होने के बावजूद मैं आसानी से संवैधानिक आरक्षण का विरोध कर सकता हूं.
17) जब मैं बोलूंगा तो लोग मेरे सरनेम के कारण डिफॉल्ट के तौर पर मान लेंगे कि मैं ज्ञान की बात कर रहा हूं. बेशक उस विषय पर मेरा ज्ञान शून्य होगा.
18) मुझे देश की 85 प्रतिशत बहुजन आबादी के बारे में कुछ भी नहीं पता हो तो भी मुझे पूरे भारतीय समाज का जानकार माना जाएगा.
19) मेरी देशभक्ति स्वयंसिद्ध है और मेरी जाति के लोगों के विदेश का जासूस होने को मेरी जाति से जोड़कर नहीं देखा जाएगा.
20) राष्ट्र की मुख्यधारा का मैं जन्मना सदस्य हूं.
21) प्राइवेट सेक्टर, विशेषकर आईटी सेक्टर में मुझे नौकरी आसानी से मिल जाएगी, क्योंकि मेरी जाति के लोग वहां के ज़्यादातर शीर्ष पदों पर मौजूद हैं. लेकिन ऐसा होने के बावजूद मैं खुद को जातिवादी नहीं मानूंगा.
22) मैं पिछड़ी और दलित जातियों के हक में बोलूंगा तो मुझे मानवतावादी और लोकतांत्रिक माना जाएगा. लेकिन यही काम पिछड़ी और दलित जाति का कोई आदमी करे तो उसे जातिवादी करार दिया जाएगा.
23) मैं जब न्यूज़ चैनल खोलूंगा तो स्क्रीन पर खबर पढ़ने वाली या वाला और विशेषज्ञों में ज़्यादातर लोग मेरी जाति के होंगे. किसी भी विषय पर बहस में ऐसा समय शायद ही कभी होगा, जब स्क्रीन पर मेरी जाति का कोई सदस्य न हो.
24) अखबारों में ज़्यादातार लेख मेरी जाति के लोगों द्वारा लिखे हुए होंगे.
25) यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी की सेल्फ मेरी जाति के लोगों की लिखी किताबों से भरी होगी.
26) मैं बेवकूफी भरी हरकत कर सकता/सकती हूं और इसके लिए मेरी जाति को ज़िम्मेदार नहीं माना जाएगा.
27) मैं इस बात के लिए खुद को महान मान सकता हूं कि मैंने दलित के साथ खाना शेयर किया है या मैं किसी दलित की शादी में गया था. इस बात को मैं अपने जातिवादी न होने के प्रमाण के तौर पर पेश कर सकता हूं.
28) अगर ह़ॉस्टल में मेरा/मेरी रुममेट दलित या ओबीसी है, तो इसे मैं अपने जातिवादी न होने के सबूत के तौर पर पेश कर सकता हूं.
29) अगर मैं ब्राह्मण हूं और मैंने कोई अपराध किया है, तो इस बात के चांस हैं कि उच्च न्यायपालिका में मेरा केस मेरी ही जाति का कोई जज सुन रहा होगा.
30) अगर मैं अपराधी हूं तो इस वजह से मेरी जाति को अपराधी नहीं कहा जाएगा. न ही मेरे अपराध से मेरी जाति को जोड़कर देखा जाएगा.
31) मैं अगर ब्राह्मण हूं तो ब्राह्मण प्रिविलेज पर लिखी मेरी थीसिस छप जाएगी और उस रिसर्च जर्नल के संपादक बोर्ड में कई सदस्य मेरी जाति के होंगे.
Author – Dilip C Mandal, Source – Facebook
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