हकीकत बन रहा साहब कांशी राम का “बहुजन समाज”।


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6000 से ज़्यादा जातियों में बटे हुए OBC, SC, ST और इनमें से धर्म परिवर्तित लोगों को एकजुट करने के लिए, जिस “बहुजन समाज” की सोच साहब कांशी राम ने बनाई थी, अब वो हकीकत बनती जा रही है।

देश की आबादी का 85% से भी ज़्यादा यह वर्ग – देर से ही सही, इस ज़रूरत को समझ रहा है। चाहे OBC की जातियाँ हों(जाट, गुज्जर, कुर्मी, यादव, पटेल, मराठा, आदि); या फिर SC की जातियाँ(वाल्मीकि, भगत, पासी, चमार, धोबी, मांग, आदि); या फिर ST की (गोंड, संथाल, मुंडा, भील, भूटिया, आदि) या इनमें से धर्म परिवर्तन कर बने मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, लिंगायत; इन सबकों अगर भारत में मान-सम्मान के साथ जीना और जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो “बहुजन समाज” की विचारधारा से जुड़ना होगा।

साहब कांशी राम ने जब इसे परिभाषित किया तो वो साफ तौर पर ST, SC, OBC और इनमें से धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को जोड़ना चाहते थे न की सिर्फ SC-अनुसूचित जातियों को। उनका साफ मानना था कि भारत में मुख्य रूप से दो ही वर्ग हैं; 85% बहुजन(ST, SC, OBC, Minorities) और 15% अल्पसंख्यक आबादी वाले सवर्ण(ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर)। ब्राह्मणवाद के कारण 15% अल्पसंख्यक सवर्णों को फ़ायदा होता है तो 85% बहुसंख्यक आबादी वाले “बहुजन समाज” को नुकसान।

“बहुजन समाज” के बनने का नज़ारा हाल ही के दिल्ली दंगों में देखने को मिला। BJP के कई छोटे-बड़े नेताओं ने हिन्दू-मुस्लिम दंगे करवाने के लिए भड़काऊ भाषण दिए, लेकिन इस बार हालात अलग थे। OBC, SC की जातियों ने इस बार खुद को मुसलमानों के खिलाफ इस्तेमाल होने से बचाया। “जाटों” ने शांति बनाये रखने की अपील की तो वहीं SC की दो बड़ी जातियाँ “वाल्मीकि-चमार” ने आगे बढ़कर दंगा पीड़ितों का साथ दिया। सिखों ने भी लोगों की जानें बचाईं और हर तरह से मदद करने के लिए अपने गुरुद्वारों के दरवाजे खोल दिए। कुल मिलाकर यह दंगा सिर्फ अल्पसंखयक सवर्ण जातियों द्वारा ही किया गया और “बहुजन समाज” ने इससे दूरी बनाये रखी। वो इस बार दंगा भड़काने वालों में नहीं बल्कि रोकने वालों में शामिल हुआ।

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साहब कांशी राम ने मुसलमान-सिख विरोधी दंगों पर कई बार कहा कि भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों के हित “बहुजन समाज”(OBC, SC, ST) के साथ ही सुरक्षित हैं।

उनका मानना था कि,

“अगर इस देश में कोई सही Polarisation (ध्रुवीकरण) होगा तो सिर्फ एक आधार पर होगा, “Status Quo Vs Change”(यथास्थितिवादी बनाम परिवर्तन)। एक तरफ बदलाव लाने वाली ताकतें होंगी – लोग होंगे (OBC, SC, ST, Minorities) और दूसरी तरफ मनुवाद को टिकाये रखने वाली ताकतें होंगी(ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर)।”

पिछले कई विधान सभा चुनावों में उनकी यह भविष्यवाणी सच साबित हुई और “बहुजन” बनाम “सर्वजन” का ध्रुवीकरण जमकर हुआ। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखण्ड, दिल्ली आदि में एक के बाद एक – RSS-BJP को OBC, SC, ST ने चलता कर दिया। “सवर्णों” ने बड़ी संख्या में RSS-BJP को वोट दिये, लेकिन “बहुजनों” ने उनके खिलाफ दूसरी पार्टियों को। इसका बड़ा फ़ायदा “बहुजन समाज” की अपनी पार्टियां तो नहीं उठा पायीं, लेकिन फिर भी “बहुजनों” ने ब्राह्मणवाद की “A” टीम बन चुकी RSS-BJP को सबक ज़रूर सिखाया।

जब हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण होता है तो हिन्दू के नाम पर OBC, SC, ST – सवर्णों(ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर) के पाले में चले जाते हैं और इसका फ़ायदा उठाकर वो सत्ता हथिया लेते हैं। लेकिन अगर ध्रुवीकरण “बहुजन” बनाम “सवर्ण” होता है तो OBC, SC, ST की सत्ता में वापसी होती है। हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखण्ड इसके जीते-जागते सबूत हैं।

“बहुजन” शब्द भी अब आहिस्ता-आहिस्ता मीडिया, फिल्मों, जानी-मानी हस्तियों में अपनी जगह बना रहा है। गौरव सोलंकी द्वारा लिखित और अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित फिल्म, “Article 15” में उसके मुख्य किरदार ने “बहुजन” शब्द का इस्तेमाल किया। बाबा रामदेव जब “पेरियार” के खिलाफ बोलने को लेकर विवादों में घिरे, तो उन्होंने अपनी सफाई देने के लिए एक इंटरव्यू में कई बार “बहुजन समाज” कहा। न्यायालय से आये एक फैसले, जिसमें “दलित” शब्द पर रोक लगाने को कहा गया – के बाद अब बहुत से मीडिया चैनलों में भी “बहुजन” शब्द का प्रभाव बढ़ा है। अब वो SC जाती के बुद्धिजीवियों के आगे “दलित चिंतक” की बजाये “बहुजन चिंतक” लिखने लगे हैं।

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अगर हम OBC, SC, ST की पहचानों का भी विशेलषण करें तो “आदिवासी” को छोड़कर बाकी की दोनों पहचानें “पिछड़े” और “दलित” नकारात्मक शब्दों से जुड़ी हैं। इनके शाब्दिक अर्थ मनोबल को कमज़ोर करने वाले हैं। वहीं दूसरी तरफ “बहुजन” शब्द प्रभावशाली है, यह इन सभी वर्गों को जोड़ता है। फिर इसके साथ हमारे महापुरषों का एक बहुत लम्बा इतिहास भी जुड़ा है। आज से 2500 वर्ष पूर्व महामना गौतम बुद्ध ने इसे अपने विचारों में जगह दी; तो आज के आधुनिक दौर में राष्ट्रपिता महात्मा जोतीराव फुले ने OBC, SC, ST को “बहुजन समाज” कहा, जिसे आगे चलकर साहब कांशी राम ने अपनाया।

एक मज़बूत समाज की नींव एक सशक्त पहचान के द्वारा ही की जा सकती है।

OBC, SC, ST पुरे देश में 6000 से ज़्यादा जातियों और कई धर्मों में बटा हुआ है। ब्राह्मणवादी लोग हमेशा इस कोशिश में हैं कि इनके इससे भी ज़्यादा टुकड़े किये जाएँ। पिछड़ों में अति-पिछड़े, दलितों में अति-दलित; यह सब इसी साजिश का हिस्सा हैं। लेकिन हमें तो इन तीनों वर्गों को एक करना है। ऐसे में आपसी भाईचारा बनाने का उपाय “बहुजन समाज” ही है, जिसमें अब सफलता भी मिल रही है।

इस 15 मार्च को साहब कांशी राम की 86वीं जन्मतिथि पर आईये इस दिशा में और आगे बढ़े ताकि भारत में ब्राह्मणवाद का खात्मा कर एक मानवतावादी समाज की स्थापना की जा सके।

सभी को 15 मार्च “बहुजन समाज दिवस” की बहुत-बहुत बधाई

सतविंदर मदारा

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1 comment

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  1. 1
    Govind Ram

    I wish,the words dalit and obc will be replaced by bahujan in near future.This will be a majority community and sawarnas will become minority.

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