वाल्मीकि भाईचारा भी उठ खड़ा हुआ ब्राह्मणवाद के खिलाफ
पिछले कुछ समय में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात देखने में आयी कि उत्तर भारत में अनसूचित जातियों की बहुत बड़ी वाल्मीकि जाती, अब खुल कर ब्राह्मणवाद और RSS-BJP के खिलाफ उठ खड़ी हुई है। आम तौर पर यह माना जाता रहा कि 1848 में महात्मा जोतीराव फूले द्वारा ब्राह्मणवाद के खिलाफ शुरू की गयी सामाजिक क्रांति में इस जाती ने ज़्यादा भाग नहीं लिया।
जब बाबासाहब अम्बेडकर का अछूतों के राष्ट्रिय नेता के तौर पर 1930 के दशक में उभार हुआ, तब भी वाल्मीकि जाती के लोग उनसे ज़्यादा जुड़ नहीं पाए। एक और बात जो दलितों-पिछड़ों में आम थी कि यह जाती महाऋषि वाल्मीकि को अपना आदर्श मानती है और क्योंकि उन्होंने रामायण लिखी, तो इनका लगाव हिन्दुओं के देवी-देवताओं में ज़्यादा है। इस वजह से वो ब्राह्मणवादी रीती-रिवाज़ो से आज भी जुड़े हुए हैं।
लेकिन पिछले कुछ समय से यह संकेत मिलने लगे थे कि जिस तरह से देश के OBC, SC, ST और Minorities में ब्राह्मणवादी व्यवस्था के बारे में जागरूकता आयी है, उससे यह समाज भी अब अनजान नहीं रहा।
जब 20 मार्च को SC-ST Act के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, तो पुरे देश की सभी अनुसूचित जातियों में इसके खिलाफ गुस्सा दिखा। इसके खिलाफ विरोध जताने के लिए 2 अप्रैल को भारत बंद की आवाज़ उठी तो वाल्मीकि जाती ने बढ़-चढ़ कर इसमें हिस्सा लिया। उत्तर भारत में इस बंद को मिली भारी सफलता में इस जाती का बहुत बड़ा रोल था; खासकर शहरों में क्योंकि इनकी आबादी गाँवों के मुक़ाबले शहरी इलाकों में ज़्यादा है ।
दिल्ली विधान सभा के एक विधायक, संदीप कुमार वाल्मीकि द्वारा नेशनल दस्तक पर दिए गए एक इंटरव्यू और विधान सभा में दिए अपने बेबाक भाषण ने सबको हैरान कर दिया। इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वाल्मीकि समाज को एक साजिश के तहत ब्राह्मणवादी लोगों ने बाबासाहब से दूर रखा, लेकिन अब वह जान चुके है कि हमारे जीवन में जो भी थोड़ा बहुत सुधार आया है, वो बाबासाहब अम्बेडकर की ही देन है। 2 अप्रैल के ऐतिहासिक बंद की सफलता पर भी उन्होंने कहा कि साहब कांशी राम ने जो दीप जलाया था, वो अब एक तूफान का रूप ले चुका है।
दिल्ली विधान सभा में बोलते हुए उन्होंने देश के बहुजनों(OBC, SC, ST) के ऊपर ब्राह्मणवादीयों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों पर उन्हें जमकर लताड़ा। अपनी लिखी हुई कुछ पंक्तियाँ सबके साथ साझा की कि “अगर संविधान सरक्षित है तो हम सुरक्षित हैं, अगर हम सुरक्षित हैं तो यह देश सुरक्षित है”। उन्होंने साफ कहा कि अगर हमारे अधिकारों को छीनने की कोशिश हुई, तो फिर हम उसके खिलाफ उठ खड़े होंगे और फिर हमें कोई भी रास्ता अपनाना पड़े, हम अपने ऊपर ज़ुल्म करने वाले ज़ालिमों को किसी भी हालत में छोड़ेंगे नहीं।
2 अप्रैल के ऐतिहासिक बंद की सफलता से ब्राह्मणवादी लोगों को बहुत जलन हुई और उन्होंने आरक्षण के खिलाफ 10 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया।इसे सफल बनाने के लिए OBC का नाम इस्तेमाल करने की साजिश हुई। उनका यह बंद पूरी तरह असफल रहा। जब वो लुधियाना में बंद करवाने की कोशिश कर रहे थे, तो वाल्मीकि समाज के कुछ युवाओं ने उनको खदेड़ा, उनके खिलाफ नारे लगाये और बाजार बंद नहीं होने दिए।
13 अप्रैल की शाम को फगवाड़ा की एक दलित संस्था “अम्बेडकर सेना मूलनिवासी” ने वहाँ के एक चौक, जिसका नाम संविधान चौक रखने पर नगर निगम में सहमति बन चुकी थी – पर “संविधान चौक” बोर्ड लगाया। पहले 2 अप्रैल को दलितों द्वारा भारत बंद की सफलता और फिर 10 अप्रैल को ब्राह्मणवादी लोगों द्वारा बंद की असफलता से अपने आप को ऊँची जाती का समझने वाले ब्राह्मणवादी लोग तिलमिलाये हुए थे। इसका बदला लेने के लिए उन्होंने इस बोर्ड का विरोध किया और रात के समय चोरी से हाईवे की स्ट्रीट लाइटें बंद करवाई; अँधेरे का फ़ायदा उठाकर बुज़दिलों की तरह निहत्थे दलितों पर आतंकवादी हमला किया। इस आतंकवादी हमले में वाल्मीकि समाज के एक नौजवान जसवंत सिंह बॉबी को गोली लगी, जिसकी 28 अप्रैल को मौत हो गयी।
इसके बाद तो पंजाब का वाल्मीकि समाज पहली बार RSS और दूसरे ब्राह्मणवादी संगठनों के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गया। वाल्मीकि समाज के बहुत सारे फगवाड़ा और पंजाब स्तर के सामाजिक और राजनीतिक नेताओं ने अपनी पार्टी और संगठनों से ऊपर उठकर, इन ब्राह्मणवादी संगठनों और नेताओं की जमकर खुले मंचों से धुलाई की।
फगवाड़ा के “राजपाल कश्यप” ने बताया कि शहर के सिर्फ 10-12 ब्राह्मणवादी गुंडे पुरे शहर का माहौल खराब कर रहें हैं। अभी तो हम शांति से प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अगर फिर ऐसा कुछ हुआ तो मुहतोड़ जवाब दिया जायेगा। जालंधर के एक जाने-माने वाल्मीकि नेता “चंदन ग्रेवाल” ने कहा कि RSS के लोगों का जूतों से स्वागत किया जायेगा। “दर्शन रत्न रावण” जो कि वाल्मीकि समाज के राष्ट्रिय स्तर के नेता माने जाते हैं ने भी कहा कि अगर पुलिस की मौजूदगी में हमारे लोगों पर गोलियां चलाई जाती है तो फिर हमारे हर परिवार को हथियारों के लाइसेंस दिए जाये, हम अपनी सुरक्षा खुद ही कर लेंगे। फगवाड़ा की हिन्दू शिव सेना को उन्होंने BJP का नाजायज बच्चा बताया और पुरे समाज से BJP के बाइकाट करने की अपील की। इसके अलावा धर्मवीर सेठी, तुलसी राम खोसला और कुछ अन्य वाल्मीकि नेताओं ने भी इस आतंकवादी हमले के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की।
फगवाड़ा के एक हिन्दू संगठन से जुड़े नेता की वाल्मीकि समाज द्वारा पिटाई भी की गयी और उसके कपड़े उतार कर उसे सिर्फ चड्डी में ही रवाना किया गया, जिसका वीडियो वायरल हुआ।
जसवंत सिंह बॉबी तो शहीद हुआ, लेकिन उसकी शहादत अब बेकार नहीं जाने वाली है। वो समाज, जिसे ब्राह्मणवाद ने लम्बे समय तक अपने झांसे में फसा के रखा, अब खुलकर इस मनुवादी व्यवस्था के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है। दलित समाज की दूसरी बड़ी रविदासिया जाती से भी उसका भाईचारा कायम हो चुका है। यह एक साफ इशारा है कि 21वी सदी में ब्राह्मणवाद का अंत होने जा रहा है।
जसवंत बॉबी हमेशा के लिए पुरे दलित और शोषित समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
–सतविंदर मदारा
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ये काफी अच्छा है कि sc st के लोग एक हो रहे है पर अगर OBC के लोग आपस में भी अगर जुड़ जाएँ तो सबकुछ बदल सकते है
jordar jay bhim