लूट सके तो लूट …
जब हम छोटे बच्चे होते थे. तो एक मौहल्ले में हम एक ही परिवार के लोग इक्कठे बसते थे. पूरे कुणबे का एक बाबा होता था जो सुबह शाम एक ही रट लगाए रखता था: राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट! अन्त समय पछतायगा जब पराण जाएंगे छूट!!
छोटे होते पता ही नहीं था इस का क्या मतलब है. कुछ बडे हुए तो फिल्मों में गुण्डे का रोल करते पराण को देखा जिसे अंत में पुलिस पकड कर ले जाती थी. कुछ समझ आई कि बाबा क्यों लूटमार की बात कर रहे होते थे. लगता था वाकई बाबा सही कह रहे थे कि अगर पराण छूट कर आ गया तो लूटमार करेगा. बाबा को जब हम ने इस श्लोक का ज्ञान पूर्ण अर्थ बताया तो उन्होंने हमारी पीठ पर धौल जमाई, लुकाठी उठा ली मारने को. हम हैरान! कमाल है! बाबा रोज सुबह शाम यही तो कहते रहते हैं जब पराण छूट गया तो लूट होगी, हमे पछताना पडेगा.
बडे हुए तो कुछ और समझ बढी कुछ समझ में आया कि यह तो राम का नाम ले कर लूट का मामला है परन्तु असली मतलब तो अब 56 इन्ची बाबा के राज में समझ आया है जब नीरव मोदी मेहुल चौकसी विजय मालया ललित मोदी जैसे भक्त अरबों रूपए खा कर विदेश में ऐश करने चले गए हैं. और कई बाबा राम के नाम पर बाबरी मस्जिद तोड कर मंदिर बनाने के नाम पर अरबों रूपए डकार गए गए हैं.
छोटे होते गरीब परिवार के हम बच्चे होते थे. खिलौने हमारे पास होते नहीं थे. सिर्फ पैरों में पुराने जूते होते थे जिसे पंजाबी में छित्तर कहा जाता है. सो उन्हीं छित्तरों को ही खिलौने बना कर हम एक खेल खेलते थे. एक पेड के रस्सा बांध कर दसेक फुट का गोला लगा लेते थे. सभी बच्चे अपने छित्तर उतार कर उस गोल दायरे में रख देते थे. एक बच्चे की बारी उन जूतों की रक्षा करना होता था परन्तु उसे धेरे से बाहर आने या रस्सा छोडने की मनाही होती थे. शेष बच्चे इधर उधर से भाग कर आते थे. छित्तर उठाते थे. और घेरे के बाहर खडे कर उस बच्चे के फैंक कर छित्तर मारते थे. जो बच्चा जूते उठाते हुए पकडा जाता था, छित्तर खाने की बारी उस की आ जाती थी.
कुछ ऐसी ही जूतेमारी अब देश में हो रही है. देश की मुख्य सतर्कता विभाग CBI, RBI, ED, CVC लगता है जैसे रस्से से बंधी पेड इर्द गिर्द चक्कर लगा रहीं हैं. ललित विजय नीरव मेहुल सहारा रोटोमैक जैसे उठाईगीरे आते हैं खजाना उठाते हैं और घेरे से बाहर निकल जाते हैं. फिर वहां आराम से बैठ कर जूते मारते हैं.
नीरव तो 56 इन्ची बाबा का खासमखास भक्त है सो वह तो CBI, RBI, ED, CVC को खुलमखुला चैलेंज दे रहा है कर लो जो कर सकते हो. हम बच्चों का खेल तो सब के सामने होता था खुलमखुला, कोई छुपाव नहीं. परन्तु बाबाओं की राम नाम की लूट की खेल निराली होती है. भक्त नीरव नए साल वाले दिन 29000 करोड ले कर बीवी बच्चों समेत चुपचाप विदेश भाग गया और 24 दिनों बाद जब 56 इन्ची बाबा विदेश गया तो वह वहां बाबा की सेवा में हाजिर हुआ. बाकायदा बाबा के साथ लन्च डिनर किया, फोटो खिचवाई और फुर्र र्र र्र! फोटो देख कर तीन दिनों बाद सोशल मीडिया ने पेड के इर्द गिर्द रस्से से बांधी सतर्कता एजैंसियों को बताया कि यह 29000 करोडी भक्त तो यहां बाबा के साथ खड़ा है!! कमाल की बात है कबीर साहिब को पहले ही पता था कि ऐसा घटित होगा. इसीलिए वह बोले थे : वस्तु कहां, ढूंढै कहां! किस बिध आवै हाथ!! CBI वस्तु को बम्बई में ढूंढ रही थी और वस्तु दावोस में बाबा जी के कन्धे से कन्धा मिला कर फोटो खिंचवा रही थी!
राम नाम की लूट करने वाले बाबा बहुत शुद्ध आत्मा होते हैं. जब भी कहीं कोई लीला घटित हो जाए, मौन व्रत धारण कर लेते हैं. तब वे अपने भीतर वाले से वार्ता करते हैं. नश्वर प्राणियों से वार्ता बन्द कर देते हैं. सो इस घटना के बाद 56 इन्ची बाबा ने आत्मशुद्धि के लिए मौन व्रत धारण कर लिया. कोई पचास दिनों बाद आत्मा शुद्ध हुई. बाबा को प्रकाश हुआ. फिर उस ने अपने भक्तो को आदेश दिया और भक्तों ने पार्लियामैंट में कानून पास करवा दिया कि कोई भी पॉलिटिक्स पार्टी विदेशों से चाहे जितना भी धन दान में ले ले कोई भी उस दान की पडताल नहीं करेगा. CBI, RBI, ED, CVC पेड से बंधे चक्कर काटते जाएंगे. जनता के जूते पडते रहें. कोई नहीं बोलेगा. बस!! ….. लूट सके तो लूट ….
ना जी ना, आप राम नामी बाबा पर बेफजूल ही शक ना करिये. जो भक्त लूट का माल ले कर विदेश भाग गया उस ने भला भारत के इस कानून से क्या लेना. शेष भई अगले भक्त की मर्जी! देना चाहे तो 29000 करोड सारे का सारा ही दान में दे! कौन सा कोई उस भक्त या इस बाबा को पूछ सकता है? अब तो कानून भी बन गया है. और कानून के हाथ बहुत लम्बे होते हैं. विदेश से काला धन खींच लाते हैं सीधा अपने खाते में!!
वह पंजाबी में एक गाना है न: ’’लोकी भैड़े शक करदे’’ अर्थात बुरे लोग फिजूल में शक करते हैं!! और हिन्दी में गाना है: खुलमखुला प्यार करेंगे हम दोनो! खाली बैठे लोगों की तो आदत है शक करने की. अब हीरो पर कोई पाबंदी थोडा ही है कि वह एक ही हिरोइन के साथ यह गीत गाए. और बाबाओं पर तो भक्तों से प्यार करने की पाबंदी होती ही नहीं है. नीरव हो विजय हो चौकसी हो वोडाफोन हो सहारा हो ललित हो. खुलमखुला प्यार करेंगे हम दोनो! बेफजूल लोग यूं ही शक करते हैं!!
शेष भई अपनी अपनी समझ है. भाईयो और बहनों, अगर आदमी पकौडे तले तो रोजगार मिला कि नहीं! अब देखो, अगर वह भक्त हमारी पॉलिटिक्स पार्टी को अपना काला धन जमा करवा दें तो बताओ काला धन भारत वापिस आया कि नहीं. काला धन तो देश में वापिस आ ही गया ना! 56 इन्ची चौकीदार ने काला धन वापिस लाने का अपना वादा पूरा किया कि नहीं!! किया न! फिर शक क्यूं?
छोटे होते रामलीला देखते होते थे. स्टेज पर एक जौकर गाना गाता रहता था: सुन ले बहन भागवंतीए, कर गया देश तरक्की!! न कोई अब आटा पीसे, न कोई चलाए चक्की!!. तब तो साइकिल पर चढ कर चलना भी तरक्की की निशानी होती थी. परन्तु अब तो आवाज से भी तेज उडने वाले रफाल जैसे जहाज आ गए हैं. गोली की सपीड वाली बुलैट टरेन आ गई है और ….
फिर वही शक. रफाल सौदा अगर 56 इन्ची बाबा ने अकेले ही तय कर लिया है तो क्या हो गया. बाबा तो ईश्वर का रूप होते हैं न! अन्तरयामी होते हैं!! उन से कुछ छिपा नहीं होता. फिर पैसा तो हाथ की मैल है. कौन सा साथ जाना है. सब यहीं रह जाना है. अगर बाबा ने थोडे बहुत कम ज्यादा दे भी दिए तो क्या हो गया.
बस करो यार! बेफजूले लोग बेकार में शक करते हो. ना, इस कानून का इस रफाल सौदे से क्या लेना देना. कानून है सख्त कानून कि रक्षा सौदे में कोई दलाली नहीं खाएगा. बेकार में शक मत करो कि अगर कमीशन डायरैक्ट पार्टी फण्ड में आ गया तो? देशभक्त पार्टी पर शक करते हो? देशद्रोही कहीं के!! बस!! नो कमैंटस!!
फिल्मों का क्या है, यूं ही बेफजूल गीत गाए जाते है: असली चेहरा सामने आए नकली सूरत छिपी रहे. ना अब नोटबन्दी से इस का क्या लेना देना है. गीत बने को तो 50 साल हो गए नोटबन्दी अब हुई है. पॉलिटिक्स पार्टीयों के लीडर जनता के प्रतिनिधि होते हैं. उन्हीं के दुख सुख के साथी होते हैं. जब नोटबन्दी हुई तो जनता बहुत परेशान हुई. गरीब जनता ने तो लाइन में लग कर अपना 4000 बदलवा लिया परन्तु सेठ जनता क्या करे बेचारी. 4000 हर रोज बदलवाए तो कई सदियां बीत जातीं नोट बदलवाते! अब 56 इन्ची बाबा से अपने भक्तों का दुख बरदाश्त नहीं हुआ. बस एक कानून पास कर दिया. लीडर चाहे जितना मर्जी पैसा जमा करवाएं कोई पडताल नहीं करेगा. बस जी इतना पैसा जमा हो गया कि बस पूछो मत. सवा साल हो गया रिजर्व बैंक को नोट गिनते परन्तु नोट नहीं खतम हुए. एक ही छक्का मारा 56 इन्ची बाबा ने और सारा काला धन खतम कर दिया. बिन टाइड बिन पानी के काला धन झक्कास सफेद!! अब फजूले बेकार शक करें तो करते रहें!! कुछ और काम तो है नहीं उनके पास!! और नहीं तो पकौडे ही तल लो!!
बाबा का एक लंगोटिया यार है शाहों का शाह!! निहायत शरीफ भक्त. भोला भाला. कई केस चले परन्तु मजाल है एक भी सबूत सामने आया हो. हर केस में बाइज्जत बरी. अब बताओ जिस वकील ने भक्त शाह का केस लडा वह प्रगति करता हुआ सुप्रीम कोर्ट का जज बन गया और जिस जज ने बरी किया वह प्रगति कर के गवर्नर बन गया तो बताओ कोई इन की मेरिट पर शक कर सकता है भला? मेरिट ना हो तो जज बन कर भी जस्टिस करणन की तरह जेल जाना पडता है. खैर बेकार लोग कहते हैं एक जज ने जमानत नहीं दी. वह शादी में गए मगर घर उन की लाश आई. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट कहती है कि हार्ट अटैक से मृत्यु हुई. अब जनम और मरण पर तो बाबाओं के भी बस की बात नहीं. सब उस की लीला है. किसी को गवर्नर बना दे किसी को मौत की नींद सुला दे. मर्जी उसकी!! बस बेकार लोगों का काम शक करना है.
बाबा का एक परम भक्त और है जेटली. अमृतसर से चुनाव हार गया परन्तु उस पर बाबा की असीम कृपा नहीं हारी. नकार दिया पब्लिक ने तो क्या हुआ? मन्त्री तो बाबा ने बनाना था सो उसे रूपए पैसे का हिसाब रखने वाला मन्त्री बना दिया. फाइनांस मिनिस्टर. बहुत स्याना वकील है. केजरीवाल से भी माफी मंगवा दी. कई सेठों के करोडों के टैक्स के केस जीत दिए. फिजूले लोग बेकार शक करते हैं उस पर! भई वकालत धन्धा है उसका. अगर उस ने भारत सरकार को हरा कर सेठों का करोडों का टैक्स बचा दिया तो उस का क्या कसूर!! धन्धे में कोई लिहाज नहीं. धन्धा अपनी जगह भारत माता अपनी जगह. फिर भारत को हरा दिया तो क्या हुआ? नारा तो अब भी जोर से लगाते हैं भारत माता की जय!!
पिछले दिनों दो बलात्कार के केस हो गए. एक आठ साल की मासूम बच्ची के साथ मंदिर के पुजारी और कुछ लोगों ने दरिन्दगी की. फिर पत्थर मार कर उस मासूम की हत्या कर दी. दूसरे केस में एक विधायक और उस के भाई पर बलात्कार का इल्जाम लगा. पूछा जा सकता है कि इस में बाबा का क्या दोष?
दोनों दोषी बाबा के भक्त हैं. दोनों केसों में बलात्कारियों के समर्थन में बाबा के अन्य हजारों भक्त तलवारें लहराते हुए भगवा पहन कर जय श्री राम के नारे लगाते हुए आए. पहले केस में तो बाबा पार्टी के पदाधिकारी ही नहीं मन्त्री भी शामिल हुए. मासूम बच्ची के हत्यारों को हिन्दू-धर्म रक्षक बना दिया गया. दूसरे केस में बाबा पार्टी के विधायक पर साल भर से पुलिस ने FIR ही नहीं लिखी. हार कर बाप बेटी मुख्यमन्त्री के घर के सामने अनशन पर बैठ गए. साहब कैसे सहन करते. उठवा दिया. अगले दिन बाप की लाश थाने से बाहर आई.
हाई कोर्ट ने पूछा कि विधायक को गिरफतार क्यों नहीं किया तो योगी सरकार बोली: बलात्कार के कोई सबूत नहीं हैं. वैसे उन के ही एक और विधायक भक्त का बयान आया है: तीन बच्चों की मां से कौन बलात्कार करेगा!! सुन कर बुरा लगा? लेकिन इसी देश की अदालत ने एक बलात्कारी को यह कहते हुए बरी कर दिया था: कौन ठाकुर अछूत महिला से बलात्कार करेगा. सो क्या पता कल को कोई जज इस विधायक भक्त की दलील मान ले.
सो अब शक ना करिये. उन को खुलमखुला जो चाहे करने दें. हम ने 2014 में जो मन्दे कर्म किए हैं उस की सजा तो भुगतनी ही पडेगी. 2019 में सोच लेना आगे क्या करना है : फिर से सजा भुतनी है या सजा देनी है. मर्जी है आपकी!! क्योंकि सिर है आपका! इसे बलात्कारियों के चरणों में रखो या अपने कन्धों पर! मर्जी आपकी!
Author – कुलदीप हिसार
+ There are no comments
Add yours