बीजेपी शासित राज्यों में दलितों व आदिवासी समाज के लोगों का हर स्तर पर लगातार शोषण व उत्पीड़न – बसपा का प्रेस रिलीज़
जातिवादी व्यवस्था के शिकार दलितों व आदिवासी समाज के लोगों का हर स्तर पर लगातार शोषण व उत्पीड़न जारी है परन्तु अब दिनांक 02 अप्रैल के बाद से तो इन वर्गों के लोगों की हालत इतनी ज्यादा ख़राब व दयनीय बन चुकी है कि अब ये लोग, अन्य वर्गों के लोगों की तरह, आगे अपनी दुःख-तकलीफें व पीड़ा आदि को लेकर कुछ भी आवाज खुलकर नहीं उठा सकते हैं और ना ही उसके विरोध में धरना-प्रदर्शन आदि कर सकते हैं। बीजेपी सरकार द्वारा इन वर्गों पर की जा रही सरकारी जुल्म-ज्यादिति के आगे सन् 1975 में लगी ‘इमरजेंसी की जुल्म-ज्यादिति भी काफी कम लगने लगी है।
बीजेपी सरकारें ‘भारत बन्द’ के आंदोलनकारियों को जबरन अपराधी बनाकर उन पर झूठे मुकदमें आदि दर्ज करके उन्हें जेल भिजवा रही है, जो सर्वथा अनुचित।
ख़ासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि में बीजेपी सरकार का खुलेआम आतंक व जंगलराज चल रहा है जिसकी हमारी पार्टी कड़े-शब्दों में निंदा करती है।
इस सम्बंध में केंद्रीय गृह मंत्री से बात करके उससे प्रभावी हस्ताक्षेप की मांग। साथ ही बी.एस.पी. का प्रतिनिधिमण्डल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से भी मिलेगा।
इसके साथ ही बी.एस.पी. के लोगों को इन पीड़ित परिवारों की तन, मन, धन से मदद करने की अपील। साथ ही, पीड़ित परिवार वालों को आश्वासन कि सरकार बनने पर इनके ऊपर लगे सभी झूठे मुकदमें वापस लिये जायेंगे तथा जाँच कराने के बाद दोषी अधिकारियों को उनके रिटायरमेंट के बाद भी नही बख्शा जायेगा।
वास्तव में ‘भारत बन्द’ की व्यापक सफलता के पीछे दलितों व आदिवासियों के भीतर की वह ज्वाला थी जो ख़ासकर केंद्र व विभिन्न राज्यों में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से इन वर्गों के प्रति हर स्तर पर बरती जा रही हीन, जातिवादी भेदभाव व जुल्म-ज्यादिति के बारे में जो बयानबाजी की जा रही उपेक्षा व दलितों पर हो रही जुल्म-ज्यादिति के बारे में जो बयानबाजी की जा रही है और वह केवल उनकी कोरी स्वार्थ की राजनीति व नाटकबाजी ही ज्यादा लगती है। दलित समाज उन्हें कभी भी माफ़ करने वाली नहीं हैं क्योंकि वे पिछले चार वर्षों तक खामोश रहे हैं।
इसके अलावा, वर्तमान गरम माहौल के मद्देनजर अब बीजेपी सांसदों को दलित बाहुल्य गाँवों में एक रात गुजारने का जो यह नया नाटक बीजेपी द्वारा छेड़ा गया है, वह इन पाखण्ड व उपहास से ज्यादा कुछ भी नहीं है। परमपूज्य बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का कोई भी सच्चा अनुयायी बीजेपी के किसी भी नेता को अपने गाँव में आसानी से घुसने नही देगा : बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी की आज मीडिया से वार्ता का मुख्य अंश जो निम्न प्रकार से है :
नई दिल्ली 8 अप्रैल 2018 :
जैसाकि यह विदित है कि जबसे केंद्र में बीजेपी व प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इनकी सरकार बनी है तबसे पूरे देश में व ख़ासकर बीजेपी शासित राज्यों में तो सबसे ज्यादा यहाँ जातिवादी-व्यवस्था के शिकार लोगों का अर्थात् दलितों व आदिवासी समाज के लोगों का हर स्तर पर लगातार शोषण व उत्पीड़न आदि हो रहा है और अब दिनांक 2 अप्रैल के बाद से तो तो यह इन वर्गों के लोगों की हालत इतनी ज्यादा खराब व दयनीय बन चुकी है कि अब ये लोग अन्य वर्गों के लोगों की तरह आगे अपनी दुःख-तकलीफें व पीड़ा आदि को लेकर कुछ भी आवाज खुलकर नही उठा सकते हैं और ना ही उसके विरोध में धरना-प्रदर्शन व भारत बन्द आदि कर सकते हैं और यदि यह सब करते भी हैं तो फिर आगे हमेश-हमेशा के लिये उनका मुँह बन्द करने के लिये और उसकी सरकारी स्तर बनाई गयी फुटेज व वीडियो आदि में कटाई-छंटाई करकेतथा उसकी आड़ में उलटे उन्हें ही अपराधी बनाकर व उन पर झुटे मुकदमें आदि दर्ज कराकर उन्हें फिर जेल भिजवा देते हैं।
इस प्रकार से उन्हें इनके मसीहा बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर के बनाये गये संविधान के विरुद्ध जाकर यहाँ सदियों पुराने बने असमाजिक, गैर-लोकतान्त्रिक एवं असमानता वाली बनी मनुवादी-व्यवस्था के तहत् चलकर, उन्हें अब ये लोग बड़े पैमाने पर परेशान व प्रताड़ित कर रहे हैं और इसका ताजा-ताजा उदाहरण अभी हाल ही में दिनांक 2 अप्रैल सन् 2018 को, इन वर्गों द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के जरिये एस.सी-एस.टी. कानून कानून में किये गये बदलाव को लेकर ‘भारत-बन्द’ के अभियान से जुड़े इन लोगों का अभी तक भी हो रहा जबर्दस्त शोषण व उत्पीड़न है और इस मामलें में ख़ासकर उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में इनके ऊपर सबसे ज्यादा जुल्म-ज्यादिति हो रही है जो अभी भी लगातार जारी है।
इस प्रकार से बीजेपी व इनकी सरकार का यही खुलेआम आतंक व जंगलराज चल रहा है जिसका हमारी पार्टी कड़े शब्दों में निंदा करती है और इस मामलें में हमारी पार्टी इन बेकसूर दुःखी व पीड़ित लोगों से यह भी आग्रह करती है कि वे अपने इस हो रहे उत्पीड़न को लेकर व इस मामलें में अपने न्याय के लिये अब ज्यादातर कोर्ट-कचहरी का ही सहारा लें और ऐसे मामलों में पार्टी के लोग ख़ासकर गरीब लोगों की पूरे तन-मन-धन से मदद भी जरूर करे।
इनके साथ ही, मैं उन्हें यह विश्वास दिलाना चाहती हूँ कि जब उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि इन राज्यों में हमारी पार्टी की सरकार बन जाती है तो फिर ऐसे सभी झूठे मुकदमों को सरकार द्वारा खत्म कर दिया जायेगा।
इसके साथ ही अब जो अधिकारी यह सब गलत कार्य कर रहे हैं उनके खिलाफ भी जाँच बैठाकर फिर उन्हें भी बख्शा नही जायेगा चाहे वो रिटायर भी क्यों ना हो जायें, क्योंकि पुलिस व प्रशासन की जिमेदारी आंदोलनकारियों को और उसमें भी विशेषकर बेकसूर लोगों को प्रताड़ित करने की नही होती है बल्कि उन्हें न्याय देने व उनके हितों की रक्षा करने की ही होती है।
और इस सम्बंध में मैं फिर से खुलकर यह कहना चाहूंगी कि देश के दलितों व आदिवासी समाज के लोगों द्वारा इसी ही महीने दिनांक 2 अप्रैल सन् 2018 को भारत बन्द का जो आयोजन कोय गया था यह ख़ासकर हिंदी भाषी राज्यों में काफी संगठित था तथा आगजनी व तोड़-फोड़ की कुछ साजिशी घटनाओं को छोड़कर काफी ज्यादा सरल व प्रभावशाली भी रहा है।
वास्तव में इस व्यापक आंदोलन की सफलता के पीछे दलितों, आदिवासियों आदि के भीतर की यह ज्वाला थी जो ख़ासकर केंद्र व विभिन्न राज्यों में बीजेपी की सरकार बनने के बाद जुल्म-ज्यादिति के खिलाफ इनके दिलों में भड़क रही थी।
वैसे तो ये तमाम लोग प्रमुख तौर पर एस.सी-एस.टी कानून में उस घातक बदलाव का विरोध कर रहे थे जो माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दिनांक 20 मार्च 2018 को बदल दिया था जिसके लिये बीजेपी व केंद्र की सरकार भी बराबर की दोषी है, जिन्होंने इस मामले में समय से सही पैरवी नही की है, जबकि एस.सी-एस.टी कानून को पूरा दलित व आदिवासी समाज चाहे वह देश के किसी भी हिस्से में रहता हो, यह इसे अपनी इज्जत व अस्मिता व आत्म-समनं से जोड़कर व इसके लिये एक जबर्दस्त क़ानूनी अधिकार के रूप में देखता व मानता भी है तथा इस कानून को जमीनी स्तर पर लगभग निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना देने वाले बदलाव से ये इतने ज्यादा गुस्से में व आक्रोशित हैं कि बहुत जमाने के बाद अब ये लोग हर जगह सड़कों पर निकल आये।
वैसे भी इन वर्गों के मामले में इतिहास इस बात का गवाह है कि इस देश में इन वर्गों ने यहाँ जातिवादी व्यवस्था के नरक से निकलकर अपने मानवाधिकार के लिये काफी लड़ाई लड़ी है, परन्तु इसमें उन्होंने कभी भी अपनी ताकत व हिंसा को हथियार नही बनाया है और अपने पूरे आत्म-सम्मान के साथ जीने के मौलिक अधिकार से सम्बंधित संघर्ष की इस लड़ाई में ख़ासकर दलितों व अन्य पिछड़े वर्गों में जन्में हमारे महान सन्तों, गुरुओं व महापुरुषों में भी विशेषकर महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज, परमपूज्य बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर व मान्यवर कांशीराम जी आदि का लम्बा जीवन संघर्ष इस बात का गवाह है कि इन्होंने सब कुछ अधिकार क़ानूनी-तौर से ही पीड़ित-शोषित समाज को दिलाया है।
लेकिन दिनांक 02 अप्रैल के “भारत बन्द” की व्यापक सफलता और इस दौरान ख़ासकर दलितों व आदिवासियों में जबर्दस्त आक्रोश होने की वजह से बीजेपी की केंद्र व राज्य सरकारें इस हद तक दहल गयी हैं कि उन्हें यह लगने लगा है कि सत्ता उनके हाथ से जाने वाली है और इसलिये बीजेपी की केंद्र व राज्य सरकारों ने पुलिस व सरकारी आंतक का ताण्डव अब इन वर्गों के प्रति हर तरफ शुरू कर दिया है।
इस मामले में ख़ासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व राजस्थान में ना केवल हजारों परिवार के लोगों की अंधाधुंध गिरफ्तारी की जा रही है बल्कि असामाजिक व अपराधिक तत्वों को भी इन पर जुल्म-ज्यादिति व इनकी हत्या तक करने की भी छूट दे दी गयी है जैसाकि गत दिनों ख़ासकर उत्तर प्रदेश के मेरठ, हापुड़ व आजमगढ़ जिले में तथा मध्य प्रदेश के ग्वालियर, मुरैना एवं भिंड आदि जिले में देखने को मिला है और इस प्रकरण की आड़ में इन वर्गों के लोगों की उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी सरकारी आतंक व गिरफ्तारी इतनी ज्यादा हुई है और अभी भी हो रही है कि इसकी तुलना में सन् 1975 में लगी “इमर्जेंसी” की सरकारी जुल्म-ज्यादिति भी अब हमें काफी कम लगने लगी है।
हालाँकि उस इमरजेंसी में आमजनता के हित व सुरक्षा को इस प्रकार से कुचला नही गया था जिस प्रकार से आज बीजेपी की सरकारें यहाँ सदियों से पीड़ित रहें ख़ासकर दलितों व आदिवासियों के खिलाफ उन्हें कुचलने का अभियान चलायी हुई है जो हकीकत में सन् 1857 में अंग्रेजों द्वारा आजादी की लड़ाई को बुरी तरह से कुचलने की याद भी ताजा करता है किन्तु गरीब, मजदूर व किसान-विरोधी जातिवादी बीजेपी सरकारों को यह समझ लेना चाहिये कि ख़ासकर दलितों व आदिवासियों के पास खोने के लिये है ही क्या? ये लोग केवल अपने आत्म-सम्मान व स्वाभिमान तथा अपनी दो वक्त की रोटी की खातिर हर दिन कड़ी मेहनत करते हैं और जैसे-तैसे करके अपना जीवन गुजर-बसर करते हैं।
इतना ही नहीं बल्कि आजादी के लगभग 70 वर्षो में ख़ासकर बीजेपी व कांग्रेस पार्टी की सरकारों ने उन्हें अपने पाँव पर खड़ा होने के लिये कभी भी पूरे तौर से सवैंधानिक व क़ानूनी अधिकार नही दिये हैं और उन्हें हमेशा खत्म करने की ही ये सरकारें साज़िशें करती रही हैं, परन्तु अब बी.एस.पी. के अथक प्रयासों से उनमें अपने अधिकारों को पाने व उनके छीने जाने पर उसका विरोध करने की काफी हद तक जागरूकता आ गयी है, जिससे ख़ासकर वर्तमान में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को यह समझ लेना चाहिये कि वे इनके साथ आग से खेलने की कोशिश ना करें वरना फिर इनकी भी कहीं वहीं दुर्गति (हाल) ना हो जाए जो यहाँ सन् 1975 की लगी इमरजेंसी के बाद सन् 1977 के लोकसभा आमचुनाव में कांग्रेस पार्टी की हुई थी और फिर यहाँ देश के करोड़ों गरीबों, मजदूरों, किसानों, दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़े वर्गों तथा मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि की लगी हाय अगले चुनाव में उनको खत्म व बर्बाद भी कर सकती है।
वैसे मीडिया बन्धुओं में आप लोगों को यह कहना चाहती हूँ कि बीजेपी शासित राज्यों में भी ख़ासकर उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश व राजस्थान आदि में “भारत बन्ध” के समर्थकों व परमपूज्य बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अनुयाईयों के खिलाफ गाँव-गाँव में जो पुलिस आतंक व गिरफ्तारी आदि की गयी है और अभी भी लगातार जारी है तो उसके विरुद्ध मैंने अगले ही दिन दिनांक 3 अप्रैल को भारत सरकार के केंद्रीय गृहमंत्री से भी स्वयं बात करके उनसे ऐसी जबर्दस्त सरकारी आतंक व जुल्म-ज्यादितियों पर तुरन्त रोक लगाने की भी पुरजोर मांग व अपील भी की थी।
और अब मैंने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद श्री सतीश चन्द्र मिश्रा, बी.एस.पी. उत्तर प्रदेश यूनिट के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री श्री रामअचल राजभर एवं विधानसभा में बी.एस.पी. दल के नेता व पूर्व मंत्री श्री लालजी वर्मा को यह निर्देशित किया है कि ये लोग भी मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से पार्टी के प्रतिनिधित्वमण्डल के रूप में समय लेकर इनसे जरूर मिले और इस प्रकरण में बाबा साहेब के अनुयाइयों पर अभी भी लगातार हो रही गिरफ्तारी व जुल्म-ज्यादिति को तत्काल रोक लगाने की मांग करे, वरना फिर बी.एस.पी. ऐसी स्थिति में ज्यादा दिन तक चुप बैठने वाली नही है।
इसके साथ ही यह बात भी सर्वविदित है कि बाबा साहेब के अनुयाइयों पर ऐसी हो रही जुल्म-ज्यादिति के खिलाफ संघर्ष ही बी.एस.पी. की स्थापना के उद्देश्यों में से एक अहम उद्देश्य रहा है, यह कौन नही जानता है।
इसके अलावा अब ख़ासकर उत्तर प्रदेश के बीजेपी के कुछ दलित सांसदों द्वारा उनके अपने ऊपर बीजेपी सरकार द्वारा की जा रही उपेक्षा व जातिवादी व्यवहार तथा आयेदिन दलितों पर हो रही जुल्म-ज्यादिति के सम्बंध में जो बयानबाजी की जा रही है, यह केवल उनकी कोरी स्वार्थ की राजनीति व नाटकबाजी ही ज्यादा लगती है।
वैसे तो बीजेपी की सरकार में काफी लम्बे समय से ख़ासकर दलितों व आदिवासी समाज के लोगों के ऊपर आयेदिन किसी ना किसी मामले को लेकर अन्याय-अत्याचार आदि का पहाड़ टूटता रहा है और जिसके विरोध में व दुःखी होकर फिर मुझे संसद तक से भी अपना इस्तीफ़ा देना पड़ा है और और तब से ये बीजेपी के दलित सांसद कुम्भकर्ण की नींद में सोते रहे थे।
परन्तु अब जबकि देश में लोकसभा के आमचुनाव होने का समय बहुत नजदीक आ गया है तथा उन्हें अपना व उनकी पार्टी का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है और अब ये लोग दलित समाज में दुत्कारे भी जा रहे हैं, जिससे बचने के लिये ही अब ये लोग इस किस्म की नई-नई नाटकबाजी कर रहे हैं। लेकिन मुझे यह पूरा भरोसा है कि देश में स्वाभिमानी दलित समाज के लोग ऐसे स्वार्थी व बिकाऊ मानसिकता वाले सांसदों व लोगों को कभी भी माफ़ करने वाले नही है।
साथ ही अब चुनाव के पहले बीजेपी के दलित सांसदों को बीजेपी सरकार द्वारा की जा रही जुल्म-ज्यादिति व उपेक्षा की याद आ रही है, लेकिन ये लोग उस समय कहाँ थे और क्यों खामोश बने रहे थे जब हैदराबाद का दलित छात्र श्री रोहित वेमुला काण्ड हुआ।
गुजरात का ऊना दलित काण्ड तथा सहारनपुर के शब्बीरपुर गाँव का जातीय संघर्ष कराकर दलित समाज पर भारी अन्याय-अत्याचार भी किया गया था? ऐसी स्थिति में इन वर्गों के लोग इनको कभी भी माफ़ विश्वासघाती के रूप में ही समाज में हमेशा जाने जायेंगे, यह निश्चित है।
और अब अंत में, मेरा यही कहना है कि बीजेपी व प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार का यह कैसा ढोंग व पाखण्ड है कि एक तरफ बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को “रामजी अम्बेडकर” के रूप में राजनीतिक तौर पर जबर्दस्ती स्मरण करने का दिखावटी काम करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ, पूरे देश भर में उनके करोड़ों दलितों व अन्य उपेक्षित वर्गों से जुड़े अनुयाइयों पर जातिवादी जुल्म-ज्यादिती, भेदभाव व अन्याय-अत्याचार एवं शोषण आदि का पहाड़ तोड़ने में जरा भी कानून की परवाह नही करते हैं और इनके मसीहा बाबा साहेब की आयेदिन मूर्ति तोड़ते हैं, ऐसा घातक वे विषैला है इनका यह दलित व आदिवासी एवं बाबा साहेब के प्रति प्रेम।
इसके अलावा, वर्तमान गरम माहौल में व दलितों व अन्य कमजोर वर्गों पर हो रही जुल्म-ज्यादती के मद्देनजर रखते हुये अब बीजेपी सांसदों को ख़ासकर दलित बाहुल्य गाँवों में एक रात गुजारने का जो यह नया नाटक बीजेपी द्वारा छोड़ा गया है तो यह इनका पाखण्ड व उपहास से ज्यादा कुछ और नही है। इस मामले में यह भी निश्चित है कि परमपूज्य डॉ. भीमराव अम्बेडकर का कोई भी सच्चा अनुयाई बीजेपी के किसी भी नेता को अपने गाँव में उसी प्रकार से नही घुसने जैसे कि कर्नाटक के दलित समाज के लोग बीजेपी के खिलाफ वहां काफी मुस्तैदी से लोहा ले रहे हैं और वहां से ये लोग एक प्रकार से उनका जीना हराम किये हुये हैं उनका मैं पूरे तहे दिल से सम्मान करती हूँ।
Press releases are great but T.V, print media ,electronic media hammering, and finally door to door campaign –all are very important to win an election.This is the time for BSP to have a battle of its life.Make alliance with any body to defeat BJP.This is the cry of millions of Dalit-Bahujans. This is the last chance otherwise BJP is going to finish all opposition in 2019 ,and India will become a one party rule like Nazi Germany.My assessment is not too far from truth. I have great fear in my own mind.BJP has abused their police power to harass the weaker section like case in point is using National Security law to keep Mr. Chandra Shekar “Azad” in jail.No Dalit politician has raise cane on his behalf for his release .We don’t have “God Father” to speak for the poor.All so called Dalit politicians are dwarfs or castrated bulls ,low energy “Leaders”, it is misnomer to call them leaders.