जानिए कौन है पेरियार? जिनकी मूर्तियाँ तोड़ रहें है संघी, अगर वो जिंदा हो गये तो मर जायेंगे संघी!
जी हाँ, क्रांतिकारी और आधुनिक विचारक द ग्रेट पेरियार रामास्वामी नायकर की मूर्ति तोड़कर उन्हें जिंदा करने के लिए संघियो को बधाई …
इस देश के इतिहास के आधुनिक युग में विज्ञान बोध और तार्किकता के एक ऐसे क्रांतिकारी विचारक थे, जिन्होंने समाज के दलित पिछड़े समुदाय को सम्मान से जीने और समाज में बराबर के अधिकार पाने का रास्ता सफलतापूर्वक दिखाया।
पेरियार एकमात्र ऐसे बडे़ कारक और विचारक थे, जिन्होंने दक्षिण भारत की राजनीति से ब्राह्मणवाद के पैर उखाड़ दिये और समाज व्यवस्था तथा राजनीति में दलित पिछडे़ समाज को वर्तमान इतिहास के शिखर पर बैठा दिया। तमिलनाडु की राजनीति में आज भी पेरियार रामास्वामी नायकर की परिकल्पना साकार हुई देखी जा सकती है। पेरियार एक अच्छे व्यवसायी परिवार में जन्मे थे लेकिन वे लगातार महसूस कर रहे थे कि ब्राह्मण, दलित और पिछड़ों को घोर अपमान के साथ नारकीय जीवन जीने को मजबूर करते रहे है । ये उसी पेरियार साहब के विचार है जिन्होंने ब्राह्मण पुत्री जयललिता और करुणानिधि को 69% आरक्षण देने के लिए बाध्य कर दिया था ….फिर वही कह रहा हूँ। जिसका श्रेय आप जयललिता को देते है! क्योंकि आप मंद बुद्धि और बेवकूफ है। आप पेरियार विरोधी मीडिया के प्रभाव में अभी भी जी रहे है।
आरक्षण माया और मुलायम को गाली देने से नहीं बल्कि पेरियार पैदा करने से मिलेगा।
पेरियार साहब के विचार:
ब्राह्मण आपको भगवान के नाम पर मूर्ख बनाकर अंधविश्वास में निष्ठा रखने के लिए तैयार करता है और स्वयं आरामदायक जीवन जी रहा है, तुम्हें अछूत कहकर तुम्हारी निंदा करता है. देवता की प्रार्थना करने के लिए दलाली करता है. मैं इस दलाली की निंदा करता हूँ और आपको भी सावधान करता हूँ कि ऐसे ब्राह्मणों का विश्वास मत करो.
उन देवताओं को नष्ट कर दो जो तुम्हें शूद्र कहें, उन पुराणों ओर इतिहास को ध्वस्त कर दो, जो देवताओं को शक्ति प्रदान करते हैं. अगर देवता ही हमें निम्न जाति बनाने के लिये जिम्मेदार हैं तो ऐसे देवताओं को नष्ट कर दो, अगर धर्म है तो इसे मत मानो, अगर मनुस्मृति, गीता या अन्य कोई पुराण आदि है तो इसको जलाकर राख कर दो. अगर ये मंदिर, तालाब या त्यौहार है तो इनका बहिष्कार कर दो. अगर हमारी राजनीति ऐसा करती है तो इसका खुले रूप में पर्दाफाश करो.
संसार का अवलोकन करने पर पता चलता है कि भारत जितने धर्म ओर मत मतान्तर कहीं भी नहीं हैं और यही नहीं, बल्कि इतने धर्मांतरण (धर्म परिवर्तन ) दूसरी जगह कही भी नही हुए हैं. इसका मूल कारण भारतीयों का निरक्षर ओर गुलामी प्रवृति के कारण उनका धार्मिक शोषण करना आसान है.
आर्यो ने हमारे ऊपर अपना धर्म थोपकर, असंगत, निर्थक और अविश्वनीय बातों में हमें फांसा. अब हमें इन्हें छोड़कर ऐसा धर्म ग्रहण कर लेना चाहिए जो मानवता की भलाई में सहायक सिद्ध हो.
ब्राहमणों ने हमें शास्त्रों ओर पुराणों की सहायता से गुलाम बनाया है और अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मंदिर, ईश्वर और देवी-देवताओं की रचना की.
सभी मनुष्य समान रूप से पैदा हुए हैं, तो फिर अकेले ब्राह्मण ऊँच व अन्यों को नीच कैसे ठहराया जा सकता है.
संसार के सभी धर्म अच्छे समाज की रचना के लिए बताए जाते है, परन्तु हिंदू-आर्य, वैदिक धर्म में हम यह अंतर पाते हैं कि यह धर्म एकता और मैत्री के लिए नहीं है.
ऊँची-ऊँची लाटें किसने बनवाईं? मंदिर किसने बनाए? क्या ब्राहमणों ने इन मंदिरों, तालाबों या अन्य परोपकारी संस्थाओं के लिए एक रुपया भी दान दिया?
ब्राह्मणों ने अपना पेट भरने हेतु अस्तित्व, गुण, कार्य, ज्ञान और शक्ति के बिना ही देवताओं की रचना करके और स्वयभू भूदेवता बनकर हंसी मजाक का विषय बना दिया है.
सभी मानव एक हैं, हमें भेदभाव रहित समाज चाहिए, हम किसी को प्रचलित सामाजिक भेदभाव के कारण अलग नहीं कर सकते.
हमारे देश को वास्तविक आजादी तभी मिली समझाना चाहिए, जब ग्रामीण लोग, देवता, अधर्म, जाति और अंधविश्वास से छुटकारा पा जायेंगे.
आज विदेशी लोग दूसरे ग्रहों पर सन्देश और अंतरिक्ष यान भेज रहे है. हम ब्राह्मणों के द्वारा श्राद्धो द्वारा परलोक में बसे अपने पूर्वजों को चावल ओर खीर भेज रहे हैं. क्या ये बुद्धिमानी है?
ब्राह्मणों से मेरी यह विनती है कि अगर आप हमारे साथ मिलकर नहीं रहना चाहते तो आप भले ही जहन्नुम में जाएें, परन्तु कम से कम हमारी एकता के रास्ते में मुसीबतें खड़ी न करें.
ब्राह्मण सदैव ही उच्च एवं श्रेष्ट बने रहने का दावा कैसे कर सकता है? समय बदल गया है, उन्हें नीचे आना होगा, तभी वे आदर से रह पायेंगे नहीं तो एक दिन उन्हें बलपूर्वक और देशाचार के अनुसार ठीक होना होगा.
– संतोष यादव, अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
+ There are no comments
Add yours