गोरखपुर-फूलपुर उपचुनाव पर बसपा का प्रेस रिलीज़
BSP Press release on 4 March 2018
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की दो सीटों (गोरखपुर व फूलपुर) के लिये हो रहे उप-चुनाव में बी.एस.पी. ने पूर्व के उपचुनावों की तरह ही अपने उम्मीदवार नही खड़े कियें हैं।
परन्तु सत्ताधारी बीजेपी की गरीब, मजदूर, किसान के साथ-साथ उसकी दलित, पिछड़ा वर्ग व अन्य जनविरोधी नीतियों के कारण उसे हराने के लिये बी.एस.पी. उसी प्रत्याशी का समर्थन करेगी जो बीजेपी को हराने की स्थिति में होगा।
इसका यह कतई मतलब नही है कि बी.एस.पी. व सपा में कोई चुनावी गठबंधन व समझौता हुआ है, जैसा कि शरारत के तहत मीडिया में प्रचारित किया जा रहा है।
इसके आलावा बी.एस.पी. ने पूरे देश में अभी तक केवल कर्नाटक राज्य में ही वहां होने वाले विधानसभा आमचुनाव के लिये जनता दल (सेक्यूलर) के साथ समझौता किया है,
इसके आलावा अन्य किसी भी प्रदेश में किसी भी पार्टी के साथ किसी भी प्रकार का कोई चुनावी समझौता व गठबंधन आदि नहीं किया है।
साथ ही, उत्तर प्रदेश में राज्यसभा व विधानपरिषद के लिये हो रहे द्विवार्षिक चुनाव में सपा ने राज्यसभा की सीट पर बी.एस.पी. को तथा विधानपरिषद की सीट पर बी.एस.पी. ने सपा को समर्थन देने का फैसला किया है ताकि केवल राजनीतिक कुण्ठा के कारण बीजेपी द्वारा खड़े किये जाने वाला अतिरिक्त उम्मीदवार पिछली बार की तरह इस बार भी कतई नहीं जीत पायें।
जहाँ तक कांग्रेस पार्टी के विधायकों के वोटों का सवाल है तो इस सम्बंध में इस हाथ दें और उस हाथ ले का मामला है। इनके सात विधायक यदि बी.एस.पी. का यहाँ उत्तर प्रदेश में समर्थन करेंगे, तभी ही बी.एस.पी. मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार का वहां समर्थन करेंगी :
बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी।
लखनऊ,
बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने उत्तर प्रदेश में गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा उप-चुनाव के सम्बंध में अपनी पार्टी का स्टैंड स्पष्ट करते हुये कहा कि इस उप-चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी को उसकी खासकर गरीब, मजदूर, किसान तथा उसकी दलित, पिछड़ा व अन्य जनविरोधी नीतियों की सजा सुनिश्चित करने के लिये इस पार्टी को हारने का भरसक प्रयास करेगी और इस क्रम में विपक्ष का जो भी मजबूत प्रत्याशी होगा उसका समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि इस प्रयास को सपा-बसपा के गठबंधन के रूप में मीडिया द्वारा प्रचारित करना गलत, भ्रामक व राजनीतिक शरारतपूर्ण व्यवहार है।
इसी प्रकार राज्यसभा व विधानपरिषद के लिये हो रहे द्विवार्षिक चुनाव में बी.एस.पी. व सपा ने आपस में तय किया है कि सपा राज्यसभा की सीट पर अपने अतिरिक्त वोटों से बी.एस.पी. का सहयोग करेगी और बी.एस.पी. इसके बदले में विधानसभा परिषद की सीट पर सपा को अपना वोट ट्रांसफर करेगी।
इस सम्बंध में जहाँ तक कांग्रेस पार्टी के सात विधायकों के मतों का सवाल है तो बी.एस.पी. मध्यप्रदेश में राज्यसभा के चुनाव में तभी कांग्रेस पार्टी का समर्थन करेगी जब वे यहाँ उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. उम्मीदवार का समर्थन करेगी अर्थात इस हाथ ले उस हाथ दे। वैसे भी यह सर्वविदित है कि मध्यप्रदेश में पिछली बार बी.एस.पी. विधायकों के सहयोग से ही कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार विजयी हो पाया था।
सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ अपने निवास पर मीडिया से बात करते हुये कहा कि बी.एस.पी. व सपा के बीच लोकसभा के दो उपचुनाव के लिये गठबंधन की मीडिया में चर्चा गलत व तथ्यहीन है। यह उप-चुनाव है आमचुनाव नहीं। जब लोकसभा का आमचुनाव होगा तब उस वक्त की परिस्थिति के हिसाब से तथा बी.एस.पी. मूवमेंट के हित व भविष्य के मद्देनजर ही सीटों के पूरे सम्मानजनक तरीके आदि का ध्यान में रखकर ही किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में मैं यह स्पष्ट कर देना चाहती हूँ कि बीएसपी ने पूरे देश में अभी तक केवल कर्नाटक प्रदेश के अलावा अन्य किसी भी प्रदेश में किसी भी पार्टी के साथ किसी भी प्रकार का कोई चुनावी समझौता व गठबंधन आदि नहीं किया है और इस मामलें में मैं खासकर उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में यह कहना चाहूंगी कि पिछले 2-3 दिनों से मीडिया में यह खबरें काफी जोरों से प्रचारित की जा रही हैं कि देश में होने वाले लोकसभा आमचुनाव में यहाँ उत्तर प्रदेश में सपा व बसपा का चुनावी गठबंधन हो गया है जो पूर्णतया तथ्यों से परे है।
लेकिन फिर भी इस बारे में मैं यह कहना चाहूंगी कि उत्तर प्रदेश में सपा व बसपा का तथा अन्य किसी और पार्टी के साथ भी जब भी यहाँ लोकसभा आमचुनाव में कोई भी चुनावी गठबंधन होगा तब फिर वह गुप्-चुप तरीके से नही होगा बल्कि पूरे तौर-तरीके से खुलकर ही होगा। और जब भी किसी पार्टी के साथ कोई चुनावी गठबंधन होगा तो उसके बारें में सबसे पहले मीडिया को ही अवगत कराया जायेगा।
इसके अलावा जहाँ तक उत्तर प्रदेश में इस समय गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा की सीट पर हो रहे उप-चुनाव में बीएसपी के लोगों को वोट देने का सवाल है तो इस सम्बंध में सबसे पहले मीडिया को यह मालूम होना चाहिये कि हमारी पार्टी ने पूर्व की तरह इस उपचुनाव में भी इन दोनों लोकसभा की सीटों पर अपने उम्मीदवार चुनाव के मैदान में नहीं उतारे हैं लेकिन इसका मतलब यह नही है कि हमारी पार्टी के लोग यहाँ अपना वोट डालने नहीं जायेंगे।
अतः उन्हें भारतीय संविधान के तहत जो वोट डालने का अधिकार मिला हुआ है उसका वे जरूर इस्तेमाल करेंगे जिसके तहत ही हमारी पार्टी के लोग मेरे पूर्व में दिये गये दिशा-निर्देशों के मुताबिक ही चलकर अब इन दोनों सीटों पर खासकर बीजेपी के उम्मीदवारों को हराने के लिये यहाँ सभी विरोधी पार्टियों में से जो मजबूत उम्मीदवार है उन्हें ही ओना वोट देने वाले हैं, ऐसी मुझे पार्टी के लोगों द्वारा जानकारी मिली है तो उसमें गलत क्या है?
इसी ही प्रकार उत्तर प्रदेश में हाल ही में राज्यसभा व विधानपरिषद के होने वाले चुनाव में भी खास सूत्रों से मिल रही रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के अतिरिक्त खड़े किये जाने वाले उम्मीदवार को भी हराने के लिये यदि सपा व बसपा के विधायकों द्वारा एक-दूसरे को वोट ट्रांसफर कर दिया जाता है तो इसका मतलब यह कोई चुनावी गठबंधन होने की बातें मीडिया में जबर्दस्ती फैलाई जा रही हैं, जबकि इसके पूर्व में इसी ही प्रकार की अफवाहें कांग्रेस पार्टी को भी लेकर राजस्थान व मध्यप्रदेश में भी फैलाई गई थीं, यह कतई भी सही व उचित नही है।
संक्षेप में मेरा यही कहना है कि देश में जब भी लोकसभा के आमचुनाव होंगे तब ही फिर इस सम्बंध में कोई अंतिम निर्णय लिया जायेगा। फिलहाल अभी इस मामलें में अर्थात गठबंधन करने के मामलें में कोई भी फैसला नही लिया गया है। इसलिये विरोधी पार्टियों में से खासकर भगवा एंड कम्पनी के लोगों को भी मीडिया आदि को भी इन चुनावों को लेकर बिना वजह बीएसपी के साथ गठबंधन करने के मामलें में हवा-हवाई बातें नहीं करनी चाहिये तो यह ज्यादा बेहतर होगा। नहीं तो फिर इस किस्म की गलत अफवाह फैलाने वाले लोगों की अंत में फजीयत ही होगी।
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