मैं विकास बोल रहा हूं।
मैं विकास बोल रहा हूं,
मेरे जनक नरेंद्र मोदी हैं।
गुजरात में जन्मा हुआ,
चाय बेचकर पला-बढ़ा।
डिग्री विग्री की बात न पूछो,
सहपाठी का नाम न पूछो,
मेरा नाम विकास है
मुझसे दाल का दाम न पूछो।
मुझे गरीबी से क्या
मेरी नियत की खोटी है।
मैं विकास बोल रहा हूं,
मेरे जनक नरेंद्र मोदी हैं।
गाय-गोबर-गोमूत्र-गीता
बस यही मेरा आधार है।
बाबरी मस्जिद मुद्दे के दम पर
चलता मेरा व्यापार है।
अरे मीडिया की तुम चिंता छोड़ो,
मीडिया अपनी गोदी है।
मैं विकास बोल रहा हूं,
मेरे जनक नरेंद्र मोदी हैं।
मां बहनों पर डंडे बसाकर,
वंदेमातरम कहते रहना है।
आईएसआई एजेंट पकड़े जाने पर,
राष्ट्रवादी दंभ भरना है।
फिर शहीदों की शहादत पर,
खूब आंख-मिचौली होती है।
मैं विकास बोल रहा हूं,
मेरे जनक नरेंद्र मोदी हैं।
गोरक्षक जनित नरहत्या ही
अच्छे दिन वाली शान पट्टी है।
अखलाक-नजीब-उना घटना पर
चुप्पी आधिकारिक उपलब्धि है।
सैकड़ों मौतों की जिम्मेदार
नवंबर वाली नोटबंदी है।
मैं विकास बोल रहा हूं,
मेरे जनक नरेंद्र मोदी हैं।
‘मन की बात’ सुनो तुम मेरी,
रोहित के मां की मत बात करो।
बस मोदी मोदी कहते जाओ,
ना दंगों पर आवाज भरो।
बाकी इस जनता का क्या,
वह बस जुमले से खुश होती है।
मैं विकास बोल रहा हूं,
मेरे जनक नरेंद्र मोदी हैं।
– सूरज कुमार बौद्ध
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Dear Suraj Kumar Baudh,
It was a great poem, expressing you thought on”Vikas”.What are our Dalit politicians and Parliamentarian doing to be spokesperson for the poor Dalits or they have ACQURED THE ATTITUDE OF– 3 MONKEYS OF GANDHI JI-I SHELL KEEP MY EYES NOT TO SEE CRIME ON DALITS ,I SHELL KEEP MY MOUTH CLOSE SO AS NOT SPEAK ON DALIT ATROCITIES AND I SHELL CLOSE MY EARS SO THAT I DON’T HAVE HEAR THE SHRILL VOICE OF OUR WOMEN WHO ARE RAPED EVERY DAY AND THEIR HOUSES ARE BURNED EVERY DAT.