शासकों के ‘हिंदी दिवस’ की साजिश से बाहर निकलकर अंग्रेजी पढ़ना शुरू करो
सामाजिक क्रांतिकारी चिंतक सूरज कुमार बौद्ध ने हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी दिवस मनाए जाने को साजिश का एक हिस्सा बताते हुए समस्त मानचित्र एवं भविष्य को अंग्रेजी पढ़ने का सलाह दिया। सूरज कुमार बौद्ध ने अपने फेसबुक पोस्ट में यह लिखा कि “अंग्रेजी पढ़ो, अंग्रेजी पढ़ो, अंग्रेजी पढ़ो !
भाषाओं का दिवस मनाने से भाषाएं राष्ट्रीय या अंतराष्ट्रीय नहीं होती हैं। जिस भाषा में लचीलता होती है वह स्वतः जनमानस को स्वीकार्य हो जाता है। हिंदी भाषा अंग्रेजी के मुकाबले कठिन है इसीलिए हिंदी दिवस मनाने की नौटंकी की जाती है। बहुजनों यह तुम्हारे दिमाग के साथ शाषक वर्ग की साजिश है। मेरी एक सलाह है कि अंग्रेजी पढ़ना शुरू करो। पूरी दुनिया से जुड़ सकते हो। यह सवर्णों का क्या है वह तो अपने बेटों को Sterling School, Mary Mothers College में पढ़ाते हैं।
उनके बच्चे अंग्रेजी में स्मार्ट होते हैं और ऑफिस में अच्छे पदों पर होते हैं। हम बहुजन केवल क्लर्क बनें रहें इसके लिए यह अंग्रेजी को विदेशी भाषा बता बताकर गरियाते रहते हैं क्योंकि हम अपनी औकात के हिसाब से केवल सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। साज़िश का शिकार मत बनें। पूरी की पूरी हिन्दी संस्कृतनिष्ठ है जो आपको धर्माधारित पाखण्ड में फंसाए रखती है। अंग्रेजी पढ़ें और पूरी दुनिया से जुड़ें। अंतराष्ट्रीय स्तर के अच्छे लेख, अच्छे शोध, अच्छे किताब आपको अंग्रेजी में ही मिलेंगे। अंग्रेजी बहुल राज्य कितने आगे हैं दक्षिण भारत देख लीजिए। हम हिंदी का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन अंग्रेजी के पक्षधर हैं क्योंकि तुम्हारे Personality Developement का एक बड़ा माध्यम है अंग्रेजी।
अंग्रेजी पढ़ो, अंग्रेजी पढ़ो, अंग्रेजी पढ़ो !”
गौरतलब है कि हिंदी राजभाषा है राष्ट्रभाषा नहीं है और भारत के दर्जनों राज्य से हैं जहां पर हिंदी नहीं बोली जाती है। सूरज कुमार बौद्ध आगे अंग्रेजी पढ़ने का ऐलान करते हुए लिखते हैं कि “शासकों, सवर्णों एवं पूंजीपतियों के बच्चे भारत सरकार की दोहरी शिक्षा पद्धति के चलते प्राइवेट स्कूलों एवं विदेशों में शिक्षा ग्रहण करते हैं वहीं भारत की बहुसंख्य आबादी एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक एवं निर्धन परिवार के लोग पैसे से मजबूर होने की वजह से अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में या विदेश नहीं पढ़ा पाते हैं। दोहरी शिक्षा पद्धति वंचित उत्पीड़ित वर्गों को अच्छी शिक्षा व्यवस्था से दूर रखने के लिए शासक वर्ग की साजिश है।” सूरज कुमार बौद्ध के इस पहल को सोशल मीडिया में बहुत सराहा जा रहा है तथा उन्हें अच्छा जनसमर्थन मिल रहा है।
— सूरज कुमार बौद्ध
i agree with you.English is must for us.
Fully agree and endorse .This is only English language which can give you place of respect and not only Hindi at all.Knowing Hindi is OK but to know English is the need of hour….