आजादी के 70 साल बाद भी बहुजनों के जीवन में कोई खास सुधार नहीं


Share

आजादी के सत्तर साल बाद भी बहुजनों के जीवन में आज भी कोई खास सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से सुधार नहीं आया है जबकि संविधान में उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कई प्रकार के प्रावधान हैं। इसका कारण कुछ और नहीं ब्राह्मण/सवर्ण का लगातार सत्ता पर काबिज बने रहना ही है।

कांग्रेस ने साठ साल के अपने शासनकाल में जो किया उसी काम को अब सत्ता में आकर संघ-बीजेपी पूरी रफ्तार से आगे बढ़ा रही है। ब्राह्मण/सवर्ण का सबसे पहला उद्देश्य रहता है कि बहुजन आंदोलन में फूट डालकर उन्हें कई टुकड़ों में विभाजित करना और वो सफल भी हुए हैं। बांटने की नीति का सिलसिला इनका नया नहीं है बल्कि तभी से शुरु हो गया था जबसे अंग्रेजों ने बहुजनों को पढ़ने का अधिकार दिया और बहुजनों में जागरूकता बढ़ना शुरु हुई थी।

ब्राह्मण/सवर्ण ने संविधान को भी कभी नहीं माना बल्कि उनके लिए तो मनुस्मृति लागू करने में यह सबसे बढ़ा रोढ़ा रहा है। इसलिए उनका प्रयास है कि कैसे भी करके संविधान को पूर्ण रूप से निरर्थक बना दिया जाए और अपरोक्ष या परोक्ष रूप से मनुस्मृति को लागू कर दिया जाए। लोकतंत्र के स्थान पर रामराज्य लाया जाए और संसद में बाबा साहेब की मूर्ति को हटाकर मनु की मूर्ति को स्थापित किया जाए।

Read also:  Best wishes on the Buddha's 2600th Jayanti

ब्राह्मण/सवर्ण वर्तमान में ब्राह्मण व्यवस्था को लागू करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यहाँ तक की हिन्दुत्व शिक्षा पर भी अधिक जोर दिया जाने लगा है। ये चाहते हैं कि बच्चों को स्कूलों में ज्योतिष विद्या, वैदिक ज्ञान और शंकराचार्य की शिक्षाओं को पढ़ाया जाए। जिससे अवैज्ञानिकता, अंधविश्वास-पाखंडवाद को बढ़ावा देने के साथ-साथ बहुजन-स्त्री विरोधी शिक्षा भी दी जा सके।

ये लोग निजीकरण की नीति पर भी अधिक जोर दे रहे हैं, फिर चाहे वो शिक्षण संस्थान हो, अस्पताल हो या कोई सरकारी लिमीटेड कंपनियाँ। क्योंकि उन्हें पता है इन सबका निजीकरण हो जाने के बाद बहुजनों को आसानी से संविधान द्वारा मिली सुबिधाओं से वंचित रखकर मानसिक और शारीरिक गुलाम बनाया जा सकता है।

अब बहुजनों आपको स्वंय ही तय करना है कि आपको क्या चाहिए संविधान या मनुस्मृति! मनुस्मृति चाहते हैं तो आप पहले से ही सही मार्ग पर हैं और यदि संविधान चाहते हैं तो सभी बहुजनों को अब संगठित होकर इन ब्रह्मराक्षसों से संघर्ष करना ही होगा।

Read also:  Nation Divided on Castes Cannot Stand and Walk, Forget Development

लेखक – सत्येंद्र सिंह

Sponsored Content

Support Velivada

+ There are no comments

Add yours