दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक नहीं बन सकते दलित राष्ट्रपति के अंगरक्षक
अमर उजाला के मुताबिक, राष्ट्रपति अंगरक्षक की सितंबर माह में भर्ती रैली होगी। निदेशक एवं सेना भर्ती निदेशक, भर्ती कार्यालय हमीरपुर ने बताया कि इस भर्ती रैली में सिख (मजहबी, रामदासिया, एससी और एसटी को छोड़कर) जाट और राजपूत की भर्ती की जाएगी। इसको बोलते है 100% आरक्षण !
यह भी कोई देश है महाराज? यह कैसा देश यहाँ कहने को तो राष्ट्रपति दलित है पर दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक नहीं बन सकते दलित राष्ट्रपति के अंगरक्षक। क्या मजाक बना रखा है इन ब्राह्मणवादीओ ने।
राष्ट्रपति भवन में इस समय अनुसूचित जाति का एक नागरिक बैठा है। लेकिन अनुसूचित जाति का कोई शख़्स उनकी सुरक्षा करने वाली अंगरक्षक टुकडी में तैनात नहीं हो सकता। आदिवासी भी नहीं। पटेल, अहीर, मौर्य, कुम्हार, तेली कोई नहीं। मुसलमान, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी भी नहीं।
यह कैसा सब का साथ और सब का विकास? मोदी अंकल को शिकायत लगाना पड़ेगा इनका।
लोकतांत्रिक भारत में सत्ता के शिखर पर यह हो रहा है। आज़ादी के 70 साल बाद भी राष्ट्रपति का अंगरक्षक ख़ास धर्म और जाति के लोग ही बन सकते हैं।
लेकिन उन अंगरक्षकों के घोड़ों की देखभाल और उनकी लीद उठाने का काम हर कोई कर सकता है। बल्कि लीद उठाने के काम में आरक्षण भी दिया गया है।
यह भी कोई देश है महाराज?
यह भारत सरकार का नियम है, जिसे तोड़ा नहीं जा सकता। आज कई अख़बारों में राष्ट्रपति अंगरक्षक की भर्ती की सूचना है।
यह सेना की एक यूनिट है।
सरकार ने साफ़ कहा है कि हिंदू राजपूत, हिंदू जाट और जाट सिख ही अप्लाई कर सकते हैं।
यह परंपरा आज़ादी के समय से जारी है।
हरियाणा के रेवाड़ी के एक यादव जी ने सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि हम इस फ़ौज में क्यों नहीं जा सकते।
इस पर सेना ने 2013 में हलफ़नामा दाख़िल किया कि यह सही है कि तीन जातियों के लोगों को ही राष्ट्रपति का बॉडीगार्ड बनाया जाता है। “लेकिन यह जातिवाद नहीं है।”
ख़बर – आज के अमर उजाला अखबार से
इस यूनिट में घोड़ों की देखभाल करने वालों में किसी भी जाति के लोग जा सकते हैं।
किसी एक समुदाय की वीरता की ही बात हो तो वह तमग़ा बैटल ऑफ कोरेगाँव के विजेताओं को दिया जाना चाहिए। युद्ध इतिहास की किताबों में सबसे निर्णायक लड़ाइयों में उसका ज़िक्र है। भारत के राष्ट्रपति ऐसे सैनिकों की रखवाली में सर्वाधिक सुरक्षित महसूस करेंगे।
Somebody should take them to the Court.This is against the article 17.
Dr.Berwa
Specially Rajputs should not be in their as seeing their ability to compromise their sisters and daughters for profit & position..
bro please read about jaat regiment, sikh regiment and there ability then you will come to know the fact. Read about jaat and sikh people and dont say anything without full investigation.
What type of full investigation are you talking about?