बुद्ध ने घर क्यों छोड़ा? ब्राह्मणवादीओ का झूठा प्रचार
सवर्ण स्त्रियों में आजकल एक नया फ़ैशन है बुद्ध को गरिया कर स्त्री विरोधी बताने का, कि वो पत्नी को धोके से छोड़ गए थे। जबकि सच्चाई यह है कि उन्होंने एक भयंकर युद्ध के ख़िलाफ़ अपने ही मंत्रिमंडल से बग़ावत कर युद्ध करने से इनकार कर दिया था, तब उन्हें जबरन देश निकाला दे दिया गया था।
उनके देश निकाले की ख़बर से उनकी पत्नी और पिता बहुत शोकाकुल हुए, और उन्हें जाते वक्त राज्य की सीमा तक छोड़ने आये थे।
ब्राह्मणों ने इस कहानी में अपना विषाक्त मेरिट घुसेड़ते हुए उन्हें रात के अंधेरे में भगोड़ा साबित करने की सैंकड़ो किताबें लिख ड़ाली, लेक़िन पुरातन ओरिजिनल स्क्रिप्ट और हज़ारों सालों पहले दीवारों पर उकेरे गयी तस्वीरों की कहानी से बुद्ध का सच स्पष्ट पता चलता है।
इसी सच को पूरे रेफरेंस के साथ, जैसे के वैसे डॉ. आंबेडकर ने जब ‘बुद्ध एंड हिज़ धम्म’ में लिखा, तो ब्राह्मणों के होश फाख्ता हो गए और उन्होंने बुद्ध को बदनाम करने वाली किताबें, सबूतों के अभाव में छापना कम कर दिया।
यदि इन सो कॉल्ड सवर्ण फेमिनिस्टों को ब्राह्मणों के तथ्यहीन बुद्ध कहानी पर इतना ही भरोसा है तो ब्राह्मणों के दूसरे धुरंधर महाग्रंथ मनुस्मृति को भी आँख मुंद कर स्वीकार क्यों नही कर लेती, क्यों नही मानती कि वें नर्क का द्वार है, शुद्र है और मात्र सेक्स उपभोग की वस्तु?
रोहिणी नदी के जल बटवारे का विवाद (शाक्य व कोलिय राज्य के मध्य) जो युद्ध का रूप ले रहा था ,को रोकने के लिये बुद्ध को देश छोड़ने पडा।परिणामस्वरूप युद्ध टल गया।बुद्ध ने सोचा कि थोडी अवधि के लिये देश छोड़ने से दो राज्यों में शान्ति आयी है तो उन्होंने विश्व शांति हेतु महाभिनिष्क्रमण का विचार किया।परिणाम विश्व के सामने है।
मनुवादियों ने तथ्यों को तोडकर कहानियों को गढा है।इसका कारण यह है कि इनके द्वारा ही बौद्ध धर्म का विनाश किया गया परन्तु जन मानस की भावना को दृष्टिगत रखते हुए पूरा यू टर्न भी तो नहीं लिया जा सकता था अतः बुद्ध को विष्णु का नवां अवतार भी घोषित करना पडा।
कपिलवस्तू की संघ सभा मे सिद्धार्थ गौतम ने जो देशत्याग की घोषना की थी उसका पता माता यशोधरा को सिद्धार्थ के महल पहुँचने से पहले ही चल गया था। महल पहुँचने के बाद यशोधरा से कैसे सभा की बाते और उनकी देशत्याग की घोषना के बारे मे खुलासा किया जाए यह सोचकर सिद्धार्थ स्तब्ध हो गए थे, की यशोधरा ने ही स्तब्धता को भंग करते हुए कहॉं, संघसभा मे आज जो कुछ भी हूआ उसका पुरा वृतांत मुझे मिल चुका है। आपकी जगह मै होती तो मै भी कोलींयो के विरुद युद्ध मे सहभागी न होते हूए मै भी वहीं कदम उठाती जो आपने उठाया है। मै भी आपके साथ प्रवज्या का स्वीकार करती, लेकीन “राहूल” की जिम्मेदारी की वजह से मै ऐसा नही कर सकती।
लेखक – राहुल शेंडे, राज शंकर
Thanks sir
अभी मेरी बुद्ध भगवान जी के घर छोडने के विषय में बहशो रह थी।
इस जानकारी से मैने उस व्यक्ति के सवालों का सही जवाब दिया।
It is very nice and actual history. Thank you very much.
बहुत बढ़िया ज्ञानवर्धक , मूल निवासी इतिहास अपने स्वर्णिम इतिहास को नही जानते, आपके माध्यम से सभी को अपने इतिहास की जानकारी होगी