आइए हम बताते हैं कि ज़ीरो कट ऑफ का सच क्या है – ब्राह्मणवादी यूनिवर्सिटी और मीडिया का कमीनापन
यूनिवर्सिटी और मीडिया के कमीनेपन और हरामखोरी का मेरे पास कोई जवाब नहीं है।
आपके पास हो तो बताएँ।
अब तक आपमें से हर किसी ने मीडिया में पढ़ लिया होगा देश की सबसे बड़ी दिल्ली यूनिवर्सिटी दिल्ली यूनिवर्सिटी में मैथ्स में PhD के इंटरव्यू के लिए SC और ST का कट ऑफ ज़ीरो है।
कैसा फ़ील हो रहा है?
अपमानित महसूस कर रहे होंगे?
कुछ को यह भी लगा होगा कि रिज़र्वेशन की व्यवस्था में कुछ तो गड़बड़ी है।
राइट?
जी नहीं। रॉन्ग। सरासर ग़लत। आपका अपराधबोध ग़लत है।
आइए हम बताते हैं कि ज़ीरो कट ऑफ का सच क्या है।
फ़िलहाल एससी का मामला देखिए।
दिल्ली यूनिवर्सिटी ने पीएचडी एडमिशन के इंटरव्यू के लिए रिटेन और दूसरे आधार पर, कुल 223 कैंडिडेट की लिस्ट निकाली है। इनमें से 20 कैंडिडेट एससी हैं।
तो क्या इनमें से किसी को रिटेन में ज़ीरो नंबर आया है?
नहीं, इनमें किसी को 46 से कम नंबर नहीं आया है।
वैसे इसी साइट पर रिटेन एंट्रेंस का रिज़ल्ट देखें तो एससी में 20वें नंबर के कैंडिडेट स्वप्निल को 46 नंबर आए हैं। जीरो का तो मतलब ही नहीं है।
फिर ये ज़ीरो का चक्कर क्या है?
अब अगर आप 46 मार्क्स तक बुला रहे है इंटरव्यू के लिए तो मिनिमम मार्क्स 0 कहा से आ गया? क्या ब्राह्मणवादी मीडिया और ब्राह्मणवादी यूनिवर्सिटी के पास कोई जबाब है इस बात का?
कोई नहीं बता रहा है। मैथ्स के अलावा किसी सब्जेक्ट की लिस्ट के साथ कट ऑफ का ज़िक्र नहीं है। बाक़ी सब्जेक्ट में कटेगरी का भी ज़िक्र नहीं है।
मेरिट लिस्ट और इंटरव्यू लिस्ट अलग क्यों है? एक कैंडिडेट का नाम दो बार क्यों है। इंटरव्यू लेने वालों को पहले से कटेगरी क्यों पता होनी चाहिए?
ऐसा क्यों है? मीडिया ने ये सवाल क्यों नहीं पूछे?
मैं क्या बताऊँ?
यूनिवर्सिटी और मीडिया की कॉलर पकड़िए।
वरना ये कमीने आपके आत्मविश्वास को तोड़ देंगे। झूठ बोलना इनके लिए मामूली बात है।
अगर किसी भी SC स्टूडेंट का मार्क्स 46 से कम नहीं है जिनको इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है तो यह ब्रह्मिणवादी मीडिया का खेल है SC-ST स्टूडेंट्स का मनोबल नीचा करने का।
माइनस 8 मार्क्स तो जनरल में भी गया है। कोई वेबसाइट पर जाकर चेक तो करे। इंडियन एक्सप्रेस में किसी गधे ने कुछ लिख दिया और सब रिएक्शन देने में जुट गए। फैक्ट की तरफ़ कोई देख ही नहीं रहा है। हर कोई भाषण देगा। बस।
तो अगर मिनिमम मार्क्स को देखा जाए तो फिर तो जनरल वालो के माइनस में है मार्क्स।
एक और बात, अगर SC केटेगरी में 46 मार्क्स तक के स्टूडेंट्स को बुलया गया है इंटरव्यू के लिए तो दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कमीनापन क्यों किया SC केटेगरी का 0 कट ऑफ दिखा कर? जब अपने 46 मार्क्स के निचे स्टूडेंट्स को बुलया ही नहीं है इंटरव्यू के लिए तो 0 कट ऑफ कहा से आ गया?
अगर ऐसे ही कट ऑफ फिक्स करना है तो जनरल का तो फिर माइनस में क्यों नहीं दिखया दिल्ली यूनिवर्सिटी ने?
मैं पक्का बता रहा हूँ। याद रखिएगा। ये तो इंटरव्यू लिस्ट है। फ़ाइनल सलेक्शन के बाद आपको पता चलेगा कि मेरिट में बस मामूली सा अंतर है। तब तक ये अपना झूठ फैला चुके होंगे। फ़ाइनल लिस्ट पर मीडिया कुछ नहीं छापेगा।
ऐसा गन्दा मजाक करने वाले ब्राह्मणवादी मीडिया पर क़ानूनी करवाई होनी चाहिए।
समाजशास्त्र यानी Sociology में इस साल की रिटेन की ओवरऑल टॉपर ST कटेगरी की हिमांशी नेगी है। 200 में 160 नंबर आए हैं। यह न्यूज़ मनुवादी मीडिया नहीं दिखाएगा। क्योकि उनको तो दलित मरते हुए अच्छे लगते है। उनको तो जीरो कट ऑफ दिखाना है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी एकेडेमिक कौंसिल के मेंबर की तरफ़ से स्पष्टीकरण। ज़ीरो कट ऑफ पर कोई एडमिशन नहीं हुआ।
मीडिया बेशरम है। माफ़ी नहीं माँगेगा।
Update – दिल्ली यूनिवर्सिटी ने Mathematics के PhD एडमिशन में SC, ST के ज़ीरो कट ऑफ वाला इंटरव्यू नोटिस अपनी साइट से आज (11/08/2017) हटा लिया है। माफ़ी नहीं माँगी है। शर्म आती है।
कुछ और बातें
JNU में इस साल एमफिल और पीएचडी में SC-2, ST-2 और OBC- 13 एडमिशन हुआ है। पिछले साल इनकी कुल संख्या 600 से ज़्यादा थी। जनरल कटेगरी का भी लगभग 400 सीट का नुक़सान है। कई सेंट्रल यूनिवर्सिटी का यही हाल है।
और आपको लग रहा था कि ये कमीने राष्ट्रवाद ला रहे हैं!
रिज़र्वेशन लागू हुआ ही था कि इन #%^* ने सीटें ही ख़त्म कर दीं।
जिस जगह पर इनका क़ब्ज़ा नहीं है, उसे वे बर्बाद कर देंगे। चाहे उनके अपने लोगों का भी कुछ नुक़सान क्यों न हो जाए।
Confirm the report by RTI and put this matter concern minister and other higher authority and take this matter to court for justice ,otherwise upper caste will destroy your rights in future hence don’t loose your constitutional rights hence fight -fight -fight .