गवाह बनो या फिर जेल में सड़ने को रहो तैयार, अधिकारियों ने दी थी आतिफ को धमकी


आतिफ ने पहले ही आशंका जाहिर की थी कि कहीं उसे आतंकवाद के झूठे आरोप में न फंसा दे पुलिस – रिहाई मंच
लखनऊ 26 जुलाई 2017। रिहाई मंच ने मो0 आतिफ और आसिफ इकबाल की गिरफ्तारी पर एटीएस के पूरे रेडिकलाइजेशन/घर वापसी अभियान पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई मुस्लिम लड़का पुलिस की थ्योरी में हां में हां मिला दे तो उसे गवाह और न मिलाए तो उसे आतंकी ठहराकर सालों जेल में सड़ाने का पूरा प्रोजेक्ट सरकार के इशारे पर चलाया जा रहा है। मंच ने इस गिरफ्तारी पर मीडिया द्वारा आईएस के आतंकी लिखने पर भी आपत्ती दर्ज की है। उसने कहा है कि सैफुल्ला फर्जी मुठभेड़ के बाद भी यही कहा गया था कि वे ‘रेडिकलाइज’ थे तो ऐसे में मीडिया किन तथ्यों के आधार उन्हें ‘आईएस आतंकी’ लिख रही है उसे वह बताए।

गवाह बनो या फिर जेल में सड़ने को रहो तैयार, अधिकारियों ने दी थी आतिफ को धमकी – मो0 शुऐब

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि 7 मार्च को लखनऊ में एक कथित मुठभेड़ के दौरान कानपुर जाजमऊ इलाके के सैफुल्ला नाम के युवक की हत्या के बाद उस इलाके के मुस्लिम युवाओं को एटीएस ने जांच के नाम पर अपने लखनऊ स्थित कार्यालय पर बुलाना शुरु किया। इसी कड़ी में मो0 आतिफ को भी कई बार एटीएस/एनआईए ने बुलाया और जहां उस पर गवाह बनने का दबाव वे बनाते थे। पुलिसिया प्रताड़ना से परेशान हो कर आतिफ ने 26 अपै्रल 2017 सुप्रिम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, गृह मंत्री भारत सरकार, डीजीपी उत्तर प्रदेश आदि को पत्र प्रेषित करके अपनी आप बीती बताई और एजेंसियों द्वारा भविष्य में फर्जी मामले में फंसा दिए जाने का अंदेशा व्यक्त किया था। जिसके बाद एटीएस चीफ असीम अरुण ने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि ‘रेडिकलाइजेशन’ को रोकने के लिए यूपी एटीएस ‘डिरेडिकलाइजेशन’ का काम कर रही है जिसे उन्होंने ‘घर वापसी’ नाम दिया था। इसके बाद रिहाई मंच ने 3 मई को यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में एक प्रेसवाार्ता के दौरान यूपी में भाजपा सरकार के कार्यकाल में एटीएस द्वारा चलाए जा रहे इस ‘घर वापसी’ कार्यक्रम की सच्चाई को मो0 आतिफ ने मीडिया के सामने लाया।
उन्होंने बताया कि प्रेस वार्ता में आतिफ ने कहा था कि 7 मार्च 2017 से लेकर आज तक एटीएस और एनआईए के लोग मुझे रोज-रोज तंग करते रहे हैं। पहले एटीएस अपने दफ्तर कानपुर में ले जाकर प्रताड़ित करती रही उसके बाद अपने लखनऊ हेड क्वाटर पर प्रताड़ित किया। वहां एनआईए की टीम भी आकर पूछताछ के नाम पर उसे प्रताणित करती रही। बाद में समय-समय पर एनआईए के कार्यालय से फोन करके बुलाया जाता रहा और प्रताड़ित किया जाता रहा। दबाव बनाया जाता रहा कि मैं पकड़े गए लोगों के खिलाफ एनआईए के कहे मुताबिक बयान दूं।
पूछताछ के नाम पर मुझे रेल बाजार थाने कानपुर, एटीएस मुख्यालय लखनऊ में मारा-पीटा भी गया। पुलिस वाले मेरे सर, गर्दन पर घूंसा मारते थे और पैरों पर फाइवर के डंडे बरसाते थे। एनआईए आॅफिस लखनऊ में मुझे मानसिक रूप से लगातार प्रताड़ित किया गया। सादे पेपर पर साइन करवाया गया और कभी-कभी एक कागज पर लिखवाते थे कि प्रति प्राप्त किया। हालांकि मुझे कोई कागज नहीं दिया जाता था। एनआईए द्वारा बार-बार बुलाए जाने से मैं अपना करोबार ठीक से नहीं देख पाया और इसी बीच मेरी पत्नी प्रसव पीड़ा से कराहती रही और मैं मजबूरन एनआईए के कार्यालय जाता रहा। मुझे मनीष सोनकर ने रेल बाजार थाना कानपुर में बुलाकर कहा कि अगर तुम यह बयान नहीं दोगे कि तुम सैफुल्लाह और उसके साथ के लोगों से मिले हुए हो और तुमने इन लोगों का साथ दिया है तो तुम्हारी बीबी और उसके पेट में पल रहे बच्चे को मार दिया जाएगा। तुमको और तुम्हारे घर वालों को आतंकवाद में फंसा दिया जाएगा।
एनआईए अफसरों ने मेरा फेसबुक एकाउंट और पासवर्ड 18 मार्च 2017 को ले लिया था। कभी भी वे और उनका फोन आ जाता और वो लखनऊ आने को कहते, यहां आने के बाद मुझे घर लौटते-लौटते रात हो जाती थी। घर पहुंचने के बाद फिर से फोन आ जाता कि कल फिर आना है। मुझे कल 8795843266 से चन्द्रशेखर सिंह ने तो वहीं लगातार 9454409415 इंस्पेक्टर वीरेन्द्र वर्मा, 8317017598 इंस्पेक्टर चन्द्र शेखर सिंह, 05222391958 एनआईए आॅफिस से, 9444084799 चेन्नई से, 9412190977, 9454402324 मनीष सोनकर कानपुर एटीएस, 9140810979, 7786826623, 9331013397 कलकत्ता से, 8574164026, 7348108904, 7785006926, 9453330327 जावेद एटीएस लखनऊ के तमाम फोन आते रहे हैं जिससे मैं मानसिक रुप से बहुत परेशान हो गया हूं।
मैंने 26 अपै्रल 2017 को माननीय मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय, माननीय मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय इलाहाबाद, गृह मंत्री भारत सरकार, उत्तर प्रदेश के डीजीपी और चेयरमैन मानवाधिकार आयोग भारत सरकार को प्रार्थना पत्र भेजकर सहायता की गुहार की है। इन दिनों मेरी 15 दिन पहले पैदा हुई बच्ची की तबीयत बहुत खराब है पर वो लोग हैं कि एक नहीं सुनते हैं। अंत में पीड़ित होकर मैंने एनआईए आॅफिस जाना मुनासिब नहीं समझा और बेहतर समझा कि अपनी पीड़ा आप लोगों के सामने रखूं।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने बताया कि 3 मई की इस प्रेस वार्ता के बाद एनआईए ने पहली बार आधिकारिक रुप से आतिफ के घर नोटिस भेजा कि वह 5 मई को एनआईए कार्यालय आए। जिससे साफ हो गया था कि अब तक आतिफ से गैर कानूनी तरीके से पूछताछ की जाती थी। उस वक्त भी आतिफ डरा हुआ था और उसने आशंका जताई थी कि उससे बल पूर्वक गवाही दिलवाई जाएगी और गवाही न देने की स्थिति में उसको तथा उसके परिवार के लोगों को गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। वह नोटिस का पालन करते हुए एनआईए कार्यालय गया। पर जिस तरीके से कल एनआइए ने उसकी गिरफ्तारी की है उससे उसका अंदेशा सही साबित हो गया है कि एजेंसियां उसे फंसाने पर तुली हैं।
द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम
प्रवक्ता रिहाई मंच

Sponsored Content

+ There are no comments

Add yours