ब्राह्मण/सवर्ण समाज-सुधारकों की वास्तविकता


भारत में अंग्रेज मिशनरी लोगों ने सदियों से ब्राह्मण/सवर्ण द्वारा प्रताड़ित किये जाने वाले शूद्र/अछूत लोगों के साथ बिना ऊँच-नीच का भेदभाव किये जब उनके शिक्षा-स्वास्थ्य संबंधित कार्यों पर ध्यान दिया तब राजा राममोहन राय, देवेन्द्रनाथ ठाकुर, रामकृष्ण परमहंस, ईश्वरचन्द्र विद्यासागर, महादेव गोविंद रानाडे, दयानंद सरस्वती सरीखे कई ब्राह्मण/सवर्ण समाज-सुधारकों की बाढ़ सी आ गयी थी।

अगर इन सब पर नजर डाली जाये तो इन्होंने सदियों से प्रचलित सामाजिक कुरीतियों और बुराईयों पर प्रहार तो किया पर कभी भी वेद-उपनिषदों और वर्णव्यवस्था का विरोध नहीं किया। जबकि इनको भलीभांति पता था कि वर्णव्यवस्था ने ही जातिव्यवस्था का रूप लिया था। स्पष्ट रूप से शूद्र/अछूत के प्रति इनकी नियत ठीक नहीं थी।

असल में ये लोग शूद्र/अछूतों के उद्धारक बनकर नहीं बल्कि शूद्रों/अछूतों द्वारा धर्म-परिवर्तन रोकने के लिये आये थे। क्योंकि उस वक्त बहुत लोगों ने धर्म-परिवर्तन किया था और कर रहे थे। इसीलिये इन्होंने उदारवादी रवैया अपनाकर आधुनिक ब्राह्मणवाद को जन्म दिया।

आज वही ब्राह्मणवाद और भी अधिक आधुनिक हो गया है जिसे आप भारतीय वामपंथियों के रूप में देख सकते हैं।

वेलीवाड़ा संपादक के दवारा टिप्पणियाँ – यह सब आज तक चलता आ रहा है। आरएसएस से ले कर कोई भी ब्राह्मणवादी संगठन देख लो, किसी एक दो लोगो को ब्राह्मणवादी मीडिया के जरिये दलितों का मसीहा बना दिया जाता है। इन ब्राह्मणवादी संगठनो का मकसद दलितों का उथान नहीं बल्कि दलितों को गुमराह कर के ब्राह्मणवाद के जंजाल में फसाये रखना है।

ऐसे लोग आते है बड़ी बड़ी कारो में दलितों की बस्तिओ में, एक – दो घड़ियाली आँसू बहाएंगे और चले जाएगे और दलितों को स्थिति में कोई अंतर नहीं आएगा। जब तक जातिवादी वयवस्था को हिन्दू ग्रन्थ वेद-उपनिषदों का विनाश नहीं होता और जा इन के विनाश की बात नहीं करते यह उदारवादी कहलाने वाले तब तक दलितों का शोषण और इस्तेमाल करने का काम चलता रहेगा इन दलितों मसीहाओ के दवारा।

लेखक - सत्येंद्र सिंह

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2 Comments

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  1. 1
    Rajiv kumar

    It’s wrong this show your Kuntha ( no other proper word for this) nothing will happen on the basis of any one destruction,don’t ne negative in your thoughts negativity doesn’t help you in any situation rest on you,after all it’s your selection ( fire burn itself then others )

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