डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर फिल्म निर्माण के पीछे की राजनीति
बाबा साहेब के जीवन पर “डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर” नामक फिल्म का निर्माण कार्य 1999 में शुरु हो गया था और 2000 में पूरा होने पर इस फिल्म को रिलीज किया गया। इस फिल्म निर्माण के पीछे की राजनीति भी बड़ी दिलचस्प है।
बाबा साहेब पर सबसे पहले फिल्म बनाने का प्रस्ताव “कैनेथ ग्रीफित” नामक ब्रिटिश फिल्मकार ने सरकार को दिया था। कैनेथ को “इंदिरा गांधी” ने अपने पिताजी “जवाहरलाल नेहरू” पर डॉक्यूमेन्ट्री बनाने का कार्यभार सौंपा था।
कैनेथ जब भारत आये तो उन्होंने इसी काम के सिलसिले में भारत देश में घूमकर जगह-जगह अंबेडकर जी की मूर्तियों को देखा तब उन्हें नहीं पता था था कि ये अंबेडकर जी की मूर्तियां हैं जब उन्होंने इस विषय में जानकारी ली तब पता चला।
कैनेथ को इसमें बड़ी ही दिलचस्पी हुई और उन्होंने अंबेडकर पर जानकारी जुटाना शुरु कर दिया और काफी जानकारी इकठ्ठी करने के बाद उन्होंने भारत सरकार से अंबेडकर पर फिल्म बनाने की अनुमति मांगी।
उस समय विदेश मंत्री “पी.वी. नरसिम्हा राव” थे उन्होंने कैनेथ से फिल्म के स्क्रिप्ट की पांच प्रतियां मंगाई और उसे पढ़ने के बाद उन्हें अंबेडकर जी पर फिल्म बनाने की अनुमति नहीं दी गई। इसके पीछे सरकार का तर्क था कि वो अंबेडकर जी पर फिल्म किसी भारतीय से ही बनवायेंगे। क्योंकि सत्ता में बैठे ब्राह्मण अंबेडकर जी को अपने तरीके से प्रस्तुत करना चाहते थे।
महाराष्ट्र में दलित लोगों को यह बात पता चली तो जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन होने लगे, इस वजह से सरकार पर दबाब बढ़ना शुरु हुआ तो 1991 में अंबेडकर जी की जन्म शताब्दी पर फिल्म बनाने की घोषणा कर दी गयी।
फिल्म की घोषणा के साथ ही यह भी आश्वासन दिया गया कि फिल्म को पूरे भारत में प्रदर्शित किया जायेगा। लेकिन फिल्म को बाद में केवल महाराष्ट्र और गुजरात में ही प्रदर्शित किया गया और इसके बाद फिल्म पर अघोषित प्रतिबंध भी लगा दिया गया।
यहां तक कि फिल्म का कोई भी वीडियो कैसेट या सीडी एनएफडीसी ने बाजार में जारी नहीं किया। इन सबके पीछे कांग्रेस का हाथ था।
आपमें से शायद ही बहुत कम लोगों को पता होगा कि बाबा साहेब पर बनी इस फिल्म को आज तक सरकारी टेलीविजन नेटवर्क पर भी मात्र एक बार तमिल भाषा में डब संस्करण करके “डीडी-5” पर दिखाया गया है इसके अलावा कभी भी किसी चैनल पर नहीं।
जबकि इस फिल्म को कम से कम राष्ट्रीय पर्व “गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस” या फिर उनके “जन्मदिन या पुण्यतिथि” पर तो दिखाना ही चाहिये था…पर इन्होंने कभी दिखाना आवश्यक नहीं समझा।
Author – Satyendra Singh
Watch – Dr. Babasaheb Ambedkar Movie in Hindi, English and Telegu
Very true.