सहारनपुर और कुन्ठा की गठरी – राजपूत
महिलाओं पर हथियार उठाने को शान समझते हो? वो महिलाएं निहत्थी थी वरना खाल उधेडना और उसके जूते बनाना भी दलित खूब जानते हैं. देश को गुलाम बना देने वाले ये राजपूत दरअसल आज कुछ भी नहीं हैं सिवाए कुन्ठा की एक गठरी के. ये लोग जानते हैं अपनी ऐतिहासिक गलतियां, उसी का अपराध बोध इन्हे दिन रात खाए जा रहा है. सत्ता चली गई, ताकत चली गई, शान चली गई. सत्ता के लिए अपनी बहन बेटियों का सौदा करने वाले ये दलाल झूठी शान के लिए अकड का सहारा लेते हैं.
बहुत बार हम देखते हैं की दलित दूल्हे को घोडी पर चढने से रोक दिया गया, ये क्या है? झूठी अकड़ ही तो है. इन्हे लगता है सब सुख संसाधन इनके हैं कोई दलित उनका उपयोग कर ही कैसे सकता है.
सहारनपुर में दलितों पर हमला भी कुन्ठा के मवाद का प्रस्फुटन ही है. न जाने कितने वर्षों से जोड जोड कर रखी नफरत को उन्होने तलवार के सहारे बाहर निकाला. महिलाओं के हाथ पाँव काट दिए गए, उनकी छाती काटने के लिए भी उन पर वार किया गया.
पानीपत कुछ ज्यादा दूर नहीं सहारनपुर से जहाँ इन्ही तथाकथित भारत माता के सपूतो ने देश को गुलामी की ओर धकेला था. न्यौता देकर बुलाया था मुगलों को, फिर उन्ही से युद्ध में हार गए, क्या इसे ही रणनीति कहते हैं ये लोग? क्या यही है वो इतिहास जिस पर ये गर्व करते हैं? कई साल लग जाते हैं एक घर बनाने में पर इन्होंने कई घर जला दिए, क्या यह मानवीय कृत्य कहा जा सकता है?
इसके लिए यही समय क्यों चुना गया क्योंकि पहला तो मुख्यमंत्री का खुद का आपराधिक रिकॉर्ड बडा जबरदस्त है दूसरा मुख्यमंत्री खुद ठाकुर है. मेंढक जैसे बरसात के दिनों में नालों से निकल आते हैं और खूब उछलते फिरते हैं वैसे ही सारे गुंडे, मवाली, जातिवादी आतंकी बिलों से निकल आए हैं, वहाँ माहौल जश्न का सा है. जो कर सकते हो कर लो अपनी सरकार है, ऐसा उन्हे लगता है.
भीषण मार काट के बाद भी दलितों ने अहिंसा से काम लिया यदि यही मार काट दलितों ने शुरू की होती तो सारी ताकतें दलितों पर टूट पड़ती. यूपी के साथ साथ कई राज्यों मे इनका आतंक शुरू हो जाता. इसके बाद जब भीम आर्मी ने मुआवजे व अपराधियों पर कार्यवाही की मांग की तो उसका संबंध नक्सलियों से बताया गया. पूरी घटना को मनुवादी मीडिया द्वारा छुपाया गया. 21 मई को जब दुनियाभर का मीडिया दिल्ली के जन्तर-मन्तर पर बहुजनों के आक्रोश को कवर करने गया था तब भी हमारे देश का मीडिया मोदी और योगी के गुण गान में व्यस्त था. पर इस सब के बावजूद हम वहाँ जिस संख्या मे पहुचे देखकर बहुत खुशी हुई.
फिर अगले दिन मायावती सहारनपुर जाती हैं उस दिन फिर से ये घात लगा कर बैठे पीठ पर वार करने वाले बाहुबली, दलितों पर हमला बोल देते हैं. मुझे लगता है की एक तो इनके निशाने पर खुद मायावती थीं और दूसरा ये की ठाकुर ये बताना चाहते थे की वो फिर से ये आतंक का खेल दोहरा सकते हैं. इस दिन से मीडिया ने खबर देना शुरू किया है क्योंकि ऐसा कर के मायावती पर दंगे भड़काने का आरोप लगाया जा रहा था. टीवी पर कहा जा रहा था की क्या जरूरत थी मायावती को इस समय वहाँ जाने की? तो मैं पूछना चाहता हूँ की दुख की घड़ी में वो अपने लोगों से नहीं मिलती तो कब मिलती?
किसी भी भारत के नागरिक को अधिकार है वो कहीं भी आ जा सकता है तो फिर उन्हे क्यों रोका जाए? बल्कि सवाल तो यूपी सरकार से होना चाहिए था की फिर से हत्याएँ हुई तो हुई कैसे? इसके बाद राहुल गांधी सहारनपुर जाने को निकलते हैं. उन्हे रास्ते में रोक दिया जाता है, क्यों? योगी सरकार क्या छिपा रही है ? सब को पता है जो भी घटना सहारनपुर में घटी सब प्रशासन की मिलीभगत थी. क्योंकि तलवार लहराते ये आतंकी कई तस्वीरों में पुलिस के साथ देखे गए थे फिर भी उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई.
अब सारे षडयंत्र पर पर्दा डाला जा रहा है और हमारे 56 इंच की छाती वाले प्रधानमंत्री को मैं मैं करने से ही फुर्सत नहीं मिली की वे दलितों को झूठी दिलासा भी दे सके, ये और बात है की वे मैनचेस्टर बम ब्लास्ट पर संवेदना व्यक्त करते हैं. वे दलितों को छोड़ कर बाकी सब के लिए संवेदनाएं रखते हैं, विश्व नेता बनना चाहते हैं. मुझे इन मनुवादियों से बिल्कुल भी उम्मीद नहीं आप भी नहीं करें. हम संख्या बल में इतने हैं की हम अगर ठान लें तो कुछ भी कर सकते हैं.
हर बार की तरह इस बार भी इस मामले को कोर्ट ले जाया गया है मुझे संविधान पर तो भरोसा है पर उन काले चौगे वाले दलालों पर बिल्कुल भी नहीं. इस आतंकी घटना से क्षुब्ध दलित धर्म परिवर्तन कर बौद्ध धर्म अपना रहे हैं जो की एक अहिसंक कदम है और मैं निजी तौर पर इसका समर्थन करता हूँ. और ये चेतना जो आप सब ने जन्तर-मन्तर पर दिखाई वो खोनी नहीं चाहिए. ध्यान रहे शहर में आग लगी है अगला घर किसी का भी हो सकता है.
लेखक – दीपक वर्मा
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rajputon ke desh bhakti par sawal uthana bewkoofi hai..
Accha ji! How?
The messages on this are fresh analytical and much needed web work.
Gradually it will spread to our masses with education of our people. I thank you VELIVADA for your efforts.. All the educated dalits must try to follow the 22 paths given by Baba Saheb and try to read books and works of Saheb.
Thank you for the kind words. Much appreciate. Please help us spread the information.
We have full respect and solidarity with All Ambedkarites who gave cone forward this time when Bheem Sena and Mr CS Ravan has countered the BSO coopted mercenaries…
Great write up by Mr.Deepak Verma. Dalit must read Black civil Rights struggle/history.
The Blacks cried”,Learn baby learn, burn baby burn”.There is unparalleled Unity among Blacks of America on their civil rights issue and also there was some support among some white liberal minded White American especially from the jewish community.But America does not suffer from an age old disease called CASTES which has infected all Indian religions, not only the upper caste Hindus including Brahamanas but lower caste Hindus or so called Dalits. It is a great maze, nobody knows how to solve. The most learned of all in the entire India,Dr.B.R Ambedkar gave up on the Hindu caste issue.To me it is not too far when there will be a combat zones.The biggest challenge facing the Dalits is their UNITY.