कौन हैं हम? हर एक दलित की अपनी एक कहानी है


कौन हैं हम? हर एक दलित की अपनी एक कहानी है . प्रकृति का नियम है. घना अँधेरा अपने साथ एक आशा की किरण लाता है. ये किरण सब कुछ दृश्य कर देती है. अँधेरे का निशान मिटा देती है. हम सब की कोई ना कोई कहानी है, क्या है हमारे समाज की कहानी?

“जय भीम” वही प्रकाश किरण है हम लोगो के लिये.

कौन हैं हम? हम लोग दलित हैं. कौन होते हैं ये दलित?

क्या दलित होना अच्छी बात है? आप बोलिये? क्या आप अशक्त होना पसंद करेंगे? क्या आप असमानता, लाचारता, गाली और गरीबी सहना पसंद करेगें?

बिलकुल नहीं. कोई भी इन्सान पसंद नहीं करेगा, और पसंद करना भी नहीं चाहिये. हम भी नहीं करते. तो कौन है ये लोग जो खुदको दलित कहके आ जाते है, हर बात पर बहस करने?

हर एक वो इंसान जिसपे अत्याचार हुआ है, वो दलित है. जब किसी छात्र को स्कूल में पीछे बिठा दिया जाता है, तब वो अंतर आपको बतायेगा के इंसान दलित क्यों हो जाता है. जब आपकी गाड़ी किसी सुनसान रास्ते पे ख़राब हो जाये और आपको कोई मदत नहीं करेगा, तब आप समझ लो की आप उस वक़्त के लिये दलित की जिंदगी जी रहे है.

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जब आपको पैसे देकर भी कोई दुकानदार 1 किलो चावल नहीं देना चाहता, तब उसकी चाहत दलित बना देती है आपको. जब आप किसी बस में चढ़ने जाते है और ड्राइवर साहब एक्सेलरेटर दबा के गाड़ी भगा देते है, तब आपको आने वाला गुस्सा वही है जो एक दलित को आता है, इस सामाजिक असमानता को देखकर. तब आप एक दलित की जिंदगी जी रहे होते है. गाड़ी निकल जाती है और आप वही छूट जाते है.

हम लोग समाज का वही तबका है, जिसने देखा है कि यहाँ असमानता, शोषण

हर एक दलित की अपनी एक कहानी होती है. किसी फिल्म की तरह रोचक नहीं होती, लेकिन संघर्ष की जरूर होती है. ये वो लोग है, जिन्होंने शोषण सह के उसपे जीत हासिल की है और आगे बढे है. हर एक के पास शोषण की कहानियाँ मिलेंगी. बस आप एक बार इंसान बनके पूछिये उनसे.  हम लोग ही है जो इस देश की अर्थवयवस्था  को चला रहे है,

इसी असमानता के कारण हम एकजुट होते है. इसी अन्याय के कारण हम “जय भीम” बोलते है और लिखते है. “जय भीम” हमारे लिये एक “क्रांति” है. हम उसे इस समाज में लाना चाहते है. और यहाँ “क्रांति” का मतलब समानता और भाईचारे से है. हम एक वोट बनके नहीं जीना चाहते, एक सोच बनके जीना चाहते है.

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हम सब को अपना इतिहास नहीं भूलना चाहिए की हमारे लिए हमारे पूर्वजो ने बहुत कुछ किया है और हम सब को उनके किये हुए कामो को आगे ले कर जाना है।  जब तक हर एक शोषण ख़तम नहीं होगा इस देश से तब तक यह देश आगे नहीं बढ़ पायेगा। हम लोगो पर जो अलग अलग जाति के लेबेल जब तक ख़तम नही होते ना तो समाज प्रोग्रेस करेगा ना ही देश.

आप सभी को क्रांतिकारी जय भीम,
—एक भीम सैनिक, अभय

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