30th मार्च 2016 – जस्टिस फॉर रोहित वेमुला – मण्डी हाउस से राष्ट्रपति भवन तक रैली
जस्टिस फॉर रोहित वेमुला
हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में क्रूर राजकीय दमन के विरोध में उठो!
मण्डी हाउस से राष्ट्रपति भवन तक रैली
30th मार्च 2016, 1 : 00 pm
जॉइंट एक्शन कमिटी फॉर सोशल जस्टिस – दिल्ली
17 जनवरी को हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के एक छात्र रोहित वेमुला कोप्रशासन की तरफ से लगातार बने हुए भेदभाव और अपमान ने आत्महत्या कीओर धकेल दिया. इस संस्थागत हत्या ने सारे विश्वविद्यालय समुदाय कोझंकझोर कर रख दिया. भारतीय जनता पार्टी के सांसद बंडारू दत्तात्रेय कारोहित वेमुला सहित ४ और दलित छात्र और आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन केकार्यकर्ताओं पर ‘देश – द्रोही’ होने का आरोप लगाना, उन छात्रों के निलम्बन के लिए मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी का दबाव बनाना, और कुलपति पी.अप्पा राव का इन छात्रों को न केवल निलम्बित करना पर उनका सामाजिकबहिष्कार करना, इन सभी कारणों ने रोहित को अपनी जान लेने पर मजबूर करदिया. आज इन सब मुद्दों को नज़रअंदाज़ करते हुए, पी. अप्पा राव, जो की रोहित की हत्या के लिए साफ़ तौर पर ज़िम्मेदार है, अपनी गद्दी पर वापस लौट आया है. और आते ही उसने विश्वविद्यालय परिसर को एक जंग का मैदान बना दिया. २२ मार्च २०१५ को जब इस बात का विरोध करने विद्यार्थी इकठ्ठा हुए, तब उन पर तेलंगाना पुलिस, सी.आर.पी.एफ. और आर.ए.एफ. की फ़ोर्स ने बर्बरता से हमला किया. विद्यार्थियों और शिक्षकों पर इस क्रूर और गैर – संवैधानिक हमले ने विश्वविद्यालय परिसर में आपातकाल जैसी स्थिति बना दी. विद्यार्थियों को हथियारबंद फ़ोर्स ने खींचते और खदेड़ते हुए, विश्वविद्यालय के गेट के बाहर कर दिया, उनके साथ लगातार गाली-गलौंच और मार-पीट की, बहुत सारी महिला विद्यार्थियों को बलात्कार की धमकियां दी गई और पुलिस यौन हिंसा पर उतर आई. पुलिस वैन और कस्टडी में भी मार-पीट की गई और प्रशासन ने मेस बंद करवा दी और बिजली और इंटरनेट की सेवाएं रद्द करवा दी.
हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रशासन, तेलंगाना पुलिस, और भ.ज.पा. के मंत्री-नेताओं की मिली-भगत ये साफ़ तौर पे दर्शाती है की ब्राह्मणवादी हिंदुत्व फ़ासीवाद किस कदर हमारे समाज में अपनी जड़ें जमा चूका है. एक अन्यायपूर्ण व्यवस्था के खिलाफ और अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाले विद्यार्थियों पर ये दमन, एक लोकतंत्र कहलाने वाले देश में अपना विरोध ज़ाहिर करने के लिए सिकुड़ते स्थानों और संसाधनों की तरफ इशारा करता है.
FTII से लेकर JNU तक सारे उच्च शिक्षा संस्थानों पर ये हमले, सत्ताधारी सरकार की प्रतिरोध की आवाज़ों को दबाने की एक सोची समझी साज़िश है. लेकिन, HCU के उदाहरण से ये साफ़ है की जब ये प्रतिरोध की आवाज़ें दलित-बहुजन और अल्पसंख्यक समुदायों से आये विद्यार्थियों की होती हैं, तो राज्य का दमन और भी तीव्र और बर्बर होता है.
हम सभी रोहित के साथ और HCU के संघर्षरत विद्यार्थियों और शिक्षकों केसाथ उनकी लड़ाई में एक जुट खड़े हैं. रोहित वेमुला की हत्या के बाद जिससंरचनात्मक अन्याय का पर्दा फाश हुआ है, उसके जवाब में देश भर में जॉइंटएक्शन कमिटी फॉर सोशल जस्टिस का गठन हुआ. रोहित की हत्या के बाद से ही, मानव संसाधन मंत्रालय का रवैय्या और मीडिया की रिपोर्टिंग ने उच्चशिक्षा संस्थानों में जातिगत उत्पीड़न और विद्यार्थियों के अधिकारों से ध्यानभटकाने की तमाम कोशिशें की, लेकिन हम रोहित की आवाज़ को दबने नहींदेंगे. आइये और इस लड़ाई में शामिल हों.
30 मार्च को एक बजे से मंडी हाउस से राष्ट्रपति भवन के मार्च में शामिल होकर,एकजुटता से ये मांगें हम रखेंगे:
- हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति पी. अप्पा राव को हटायाजाये.
- ‘रोहित एक्ट’ लागू करो.
- मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी और भारतीय जनता पार्टी के सांसदबंडारू दत्तात्रेय का इस्तीफ़ा.
- सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों पर लगी सारी धाराओं को बिना किसीशर्त के और तुरंत हटाया जाये
- गच्चीबोली पुलिस थाने में एस.सी./एस.टी. एट्रोसिटीज क़ानून केअंतर्गत दर्ज किये गए सारे अपराधियों की गिरफ्तारी.
- जिन पुलिस कर्मियों और फोर्सेज ने विद्यार्थियों और शिक्षकों पर हमलेकिये, उन सभी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही.
- हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के परिसर से पुलिस और फोर्सेज कोतुरंत हटाया जाये!
- विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता.
- रोहित के परिवार को कंपनसेशन की न्यूनतम रकम, ५० लाख रुपये,दिए जाएं और साथ ही उसके परिवार के व्यक्ति को HCU में नौकरी दीजाये.
- रोहित के केस में एक सार्वजनिक अभियोक्ता की नियुक्ति.
- सारे उच्च शिक्षा संस्थानों में दलित – बहुजन, आदिवासी, औरअल्पसंख्यक विद्यार्थियों के साथ होने वाले भेद -भाव और अत्याचारके खिलाफ एक कमिटी का गठन हो, जिसमे मानव संसाधन मंत्रलायके अधकारी न हों.
- सारे उच्च शिक्षा संस्थानों में, सरकारी या निजी, समाजिक न्याय कीनीतियों को लागू किया जाये.
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