लेकिन आप फूलन देवी को कैसे स्वीकार करेंगे? आपके लिए तो वह मल्लाह है, डकैत है। है कि नहीं?
25th July (2001) in Dalit History – Death anniversary of Phoolan Devi
विश्व इतिहास की श्रेष्ठ विद्रोही महिलाओं की ग्लोबल लिस्ट बनाते हुए दुनिया की सबसे बडी पत्रिका “टाइम मैगजीन” ने फूलन देवी को चौथे नंबर पर रखा। भारत से वे अकेली ही इस लिस्ट में हैं। इस लिस्ट में जॉन ऑफ आर्क से लेकर आंग सान सूकी तक कुल 17 नाम हैं।
फूलन देवी ने पुरुष और जाति सत्ता से प्रतिशोध का जो तरीका चुना, उसकी वैधानिकता पर बहस हो सकती है। पर वे दुनिया की श्रेष्ठ विद्रोही महिला थीं, इस बात में दुनिया को शक नहीं है। भारत के कुछ लोगों को बेशक शक है। जिन्हें शक है, भारत में विचार निर्माण वही करते हैं, इसलिए भारत में फूलन देवी के महत्व को स्वीकार नहीं किया जाएगा। फूलन देवी के जेल से बाहर आने के बाद मैंने इंडिया टुडे में उनकी रिपोर्ट छापी थी। 1994 की बात होगी।
एक ग़रीब मल्लाह की बेटी की विश्वस्तरीय मान्यता को स्वीकार कर पाना भारत के प्रभु वर्ग के लिए कोई आसान काम नहीं है।
Read – लोगों की हीरो थी फूलन देवी
फूलन देवी के साहस का सम्मान करके अगर सरकार उन्हें भारत रत्न दे देती तो यह देश में बलात्कार की सनातन संस्कृति पर लगाम लगाने की दिशा में एक बडा क़दम होता। इस देश में बलात्कारी अगर किसी एक नाम से डरेगा, तो वह नाम फूलन देवी का ही हो सकता है। फूलन देवी जैसी कोई नहीं।
अमेरिका से लेकर ब्रिटेन में फूलन देवी का सम्मान हो ही रहा है। टाइम मैगजीन से लेकर गार्डियन तक में उनके नाम का डंका बज चुका है।
भारतीय गणराज्य के एक नागरिक की हैसियत से मेरी सरकार से माँग है कि फूलन देवी को भारत रत्न दिया जाए।
बलात्कारियों के मन में डर पैदा करना हो तो बेहतर प्रतीक यानी सिंबल क्या है? नारी उत्पीड़न के प्रतिरोध का चेहरा किसका हो?
निर्भया या फूलन देवी?
आपको एक ग़रीब मल्लाह की विद्रोही बेटी कैसे स्वीकार होगी? अब इससे क्या फर्क पड़ता है कि सारी दुनिया विश्व इतिहास की श्रेष्ठ विद्रोहिणी के तौर पर फूलन को सलाम करता है। दुनिया की सबसे लोकप्रिय ‘टाइम’ मैगजीन की नज़र में फूलन देवी श्रेष्ठ है। लंदन का जो ‘गार्डियन’ अखबार भारत के प्रधानमंत्री के मरने पर पर स्मृति लेख नहीं छापता, उसने फूलन पर स्मृति लेख छापा। वही फूलन, जो भारतीय गणराज्य के तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायण की नज़र में ‘अन्याय के प्रतिकार का प्रतीक’ है।
लेकिन आप उसे कैसे स्वीकार करेंगे। आपके लिए तो वह मल्लाह है, डकैत है। है कि नहीं?
Written by – Dilip C Mandal on Facebook
25th July (2001) in Dalit History –
Death anniversary of Phoolan Devi. She did fight against the oppression of upper castes. She was ranked (4th) as one of most rebellious woman in the world by The Times magazine and she was the only one from India in that list.
Read also –
“I, Phoolan Devi – The autobiography of India’s Bandit Queen”
Phoolan Devi – Daring and Darling Queen of Dignity
+ There are no comments
Add yours